बुधवार, 24 अगस्त 2011
इंसानियत
हमारे देश में प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म अपने विचारों को प्रसारित एवं प्रचारित करने की पूरी स्वतंत्रता है,विभिन्न धर्मों के व्यापक प्रचार एवं प्रसार के बावजूद इमानदारी,सच्चाई,शालीनता,अहिंसा,सहिष्णुता,जैसे गुणों का सर्वथा अभाव है। जिसने अपने देश में अराजकता ,अत्याचार,चोरी,डकैती,हत्या जैसे अपराधों का ग्राफ बढा दिया है.दिन प्रतिदिन नैतिक पतन हो रहा है.उसका कारण यह है की हम धर्म को तो अपनाते
हैं परन्तु धर्मो द्वारा बताये गए आदर्शों को अपने व्यव्हार में नहीं अपनाते। सभी धर्मों के मूल तत्व इन्सनिअत को भूल जाते हैं,और अवांछनीय व्यव्हार को अपना लेते हैं।
यदि हम किसी धर्म का अनुसरण न भी करें और इन्सनिअत को अपना लें ,इन्सनिअत को अपने दैनिक व्यव्हार में ले आए तो न सिर्फ अपने समाज,अपने देश, बल्कि पूरे विश्व में सुख समृधि एवं विकास की लहर पैदा कर सकते हैं.
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शुक्रवार, 19 अगस्त 2011
सरकारी कर्मियों से विनम्र निवेदन
आज जो आन्दोलन अन्ना हजारे द्वारा चलाया जा रहा है, यह एक अनुशासन पर्व की भांति है ,सभी को आत्मशुद्धि का मौका मिल रहा है. अतः अन्ना जी के आन्दोलन में सहयोग देने के लिए हम सभी को कुछ संकल्प लेने की आवश्यकता है .एक तरफ जहाँ आम जनता को घूस देने से बचने की कोशिश करनी है, तो दूसरी तरफ सभी सरकारी कर्मचारियों को भी संकल्प लेना चाहिए --न तो वे स्वयं रिश्वत लेंगे और न ही लेने देंगे-- और अपने इस संकल्प को ईमानदारी से निभाएंगे. यही हमारा प्रायश्चित भी होगा. क्योंकि सारे भ्रष्ट कार्य की पहली जिम्मेदरी सरकारी कर्मियों की है यदि वे चाहें तो नेता भी घोटाले नहीं कर सकते, क्योंकि एकता में बहुत शक्ति है.
एक प्रश्न भी आपके मन में कोंध रहा होगा. आज जनता भी बिना रिश्वत दिए भरोसा नहीं करती की उसका काम वास्तव में हो जायेगा. ऐसे लोग जबरन रिश्वत देने की कोशिश करते रहेंगे उसका समाधान भी है, सभी सरकारी वेतन भोगी अपने संकल्प पर अडिग रहते हुए जबरन दी गयी राशी को ईमानदारी से अन्ना हजारे के मिशन पर खर्च कर दें. यह हजारे साहेब के आन्दोलन को बल प्रदान करेगा .हमारे देश और हमारी संतान का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा
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सोमवार, 15 अगस्त 2011
अन्ना हजारे और उनका आन्दोलन
आज अन्ना जी की गिरफ़्तारी से पूरा देश आक्रोशित हो उठा है .अन्ना के आन्दोलन को जिस प्रकार से कुचलने का प्रयास किया जा रहा है, सरकार में फैली घबराहट को प्रदर्शित करता है.सभी सरकार में बैठे नेताओं और नौकर शाहों को अपना भविष्य अंधकार में दिखने लगा है.उसी प्रकार जनता में भी अनेक ऐसे व्यक्ति विद्यमान हैं,जो जाने अनजाने या फिर मजबूरी वश भ्रष्ट कार्यों का हिस्सा बने हुए हैं अथवा कभी हिस्सा रहे हैं,वे भी परेशान हैं,हैरान हैं. ये लोग आन्दोलन का समर्थन देने इच्छा रखते हुए भी अपने को जकड़ा हुआ पाते हैं. यही कारण है अन्ना जी को जो समर्थन मिलना चाहिए था उतना समर्थन नहीं मिल पा रहा है, यही वजह है की सरकारी अधिकारी आन्दोलन को कुचल देने का स्वप्न देख रहे हैं .जबकि यह उनकी भयानक भूल है अब तो प्रायश्चित स्वरूप उन्हें आन्दोलन का एवं जन लोकपाल बिल का समर्थन करना चाहिए ,यही उनके हित में हो सकता है.
मजबूरी वश या परिस्थिति वश भ्रष्टाचार में लिप्त रहे लोगों के लिए पश्चाताप का यह सुनहरी अवसर है और यदि प्रायश्चित में सजा भी भुगतनी पड़ती है तो भी अपने एवं अपने बच्चों के सुखद भविष्य के लिए त्याग मान कर तैयार रहने चाहिए. और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में अन्ना जी का साथ देना चाहिए.उन्हें आज से ही भ्रष्ट कार्यों से स्वयं को अलग कर लेने के लिए संकल्पाबद्ध हो जाना चाहिए.आपके इस प्रायश्चित से अन्ना जी के आन्दोलन को ताकत मिलेगी.
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*सत्य शील अग्रवाल *
(blogger)*
रविवार, 14 अगस्त 2011
सभी मित्रों को स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाएं
सभी मित्रों को स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाएं
राष्ट्रिय पर्व की इस पावन बेला पर यदि हम सब कुछ महत्वपूर्ण संकल्प ले सकें तो यह राष्ट्र के प्रति हमारे नैतिक दायित्व को सार्थक करेगा
*हम अपने स्वार्थ से अधिक राष्ट्र हित को महत्त्व देंगे
**राष्ट्र की संपत्ति की यथा शक्ति रक्षा करेंगे.
*भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक जुट हो कर आन्दोलन रत रहेंगे .
*देशद्रोहियों,आतंकियों के इरादों को कभी कामयाब नहीं होने देंगे उन्हें नेस्तनाबूद करने के यथा संभव प्रयास करेंगे.
*समाज सेवकों,देशसेवकों को प्रोत्साहित करने के साथ भरपूर सहयोग भी करेंगे.
*शिक्षा के प्रसार प्रचार में यथाशक्ति सहयोग करेंगे.
*महिलाओं को सम्मान एवं समानता का अधिकार दिलाने के लिए प्रयासरत रहेंगे.
*बच्चों को चरित्रवान ,सभ्य,एवं समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनायेंगे.
*इंसानियत अपनाएंगे,इंसानियत की रक्षा करेंगे .
*देश में सुख शांति और न्याय का परचम लहरायेंगे.
*सत्य शील अग्रवाल *
शनिवार, 6 अगस्त 2011
विचार मंथन भाग छः
##विक्टोरिया पार्क मेरठ अग्नि कांड होते हैं, सैंकड़ो व्यक्ति काल के गाल में समां जाते हैं. तब अग्निशमन विभाग ,विद्युत् विभाग, स्थानीय प्रशासन सब अपने अपने नियमों के उल्लंघन होने का शोर मचाते है .आयोजकों पर आरोप मढ़ते हैं तथा स्वयं को पाक साफ होने का नाटक करते हैं. क्या नियमों का पालन करने की जिम्मेवारी किसी विभाग की नहीं है सिर्फ आरोप लगा कर अपन रोब गांठना ही उनका काम है?
###उपहार सिनेमा दिल्ली अग्निकांड होता है, अनेकों बेगुनाह मनोरंजन करता करता मौत के आगोश में समां जाते हैं,तब सरकारी विभाग अपने कायदे कानून याद आते हैं ,सिनेमा घर के मालिकों पर सारे आरोप सिद्ध करने की होड़ लग जाति है परन्तु इस लापरवाही में निरीह जनता पिस जाति है. क्यों?
####शहर में नकली दवाओं,नकली खाद्य पदार्थों ,जैसे घी,मावा,सिंथेटिक दूध,नकली सोस,इत्यादि के बड़े बड़े कारोबार चलते रहते हैं.स्थानीय प्रशासन को भनक तक नहीं लगती. क्या संभव है बिना स्थानीय प्रशासन की जानकारी के कोई इतना बड़ा धंधा चला सकता है.?.
#####बड़ी बड़ी फाइनेंस कम्पनियां अनेक प्रकार के लालच में जनता को फंसा कर विराट राशी डकार जाती हैं. सम्बंधित विभागों के अधिकारी जब जागते हैं तब तक जनता को भारी चूना लग चुका होता है. फिर दिखावे के लिए मालिकों को उठा कर बंद कर दिया जाता है अनेक वर्षो तक मुकदमा चलता है धीर धीरे सेटिंग हो जाती है सबूत नष्ट कर केस को कमजोर कर दिया जाता है. सब मामला रफा दफा हो जाता है. जनता के हाथ कुछ नहीं आता कुबेर फाइनेंस कम्पनी जैसी अनेको कम्पनियां इसका उदहारण है .
######सभी सरकारी विभागों में अफसर बाजार भाव से कई गुना अधिक भाव पर अपने विभाग के लिए सामान खरीदते है,ठेकेदार से कई गुना कीमत देकर कार्य करवाते हैं,बड़े बड़े अफसर मंत्री अपनी मौन स्वीकृति देते रहते हैं जब कभी मीडिया कोई प्रसंग उछाल देती है तो निचले अधिकारियों को बलि का बकरा बना कर आरोपित कर दिया जाता है बड़े अधिकारी साफ बच जाते हैं.
उपरोक्त सभी ऐसे उदाहरणहैं जो स्पष्ट बताते हैं की रिश्वत के लालच में अनेक अवैध कार्य शासन प्रशासन के संरक्षण में चलते रहते हैं जिनके भयंकर परिणाम जनता को भुगतने पड़ते हैं.सरकारी विभागों के अधिकारियों का कुछ नहीं बिगड़ता जबकि उनके लालच के कारण ही अवैध कार्य हो पाते है.सभी दुर्घटनाओ का असली जिम्मेदार भ्रष्टाचार है.
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मंगलवार, 2 अगस्त 2011
विचार मंथन (भाग पांच)
देश का मालिक कौन ?
हमारी चुनाव प्रणाली दोष पूर्ण होने के कारण ,चुनावों में विजय मिलती है, या तो धनवानों को या फिर बाहुबलियों को जो दबंगई के बल पर चुनाव जीत जाते हैं .धन वाले उम्मीदवार धन के बल पर समाज के कमजोर वर्ग को आसानी से भ्रमित कर वोट प्राप्त कर लेते हैं.और चुनाव जीत जाते हैं यही कारण है कोई भी नेता आरक्षण व्यवस्था को हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता.परिणाम स्वरूप मेधावी नागरिक जो उच्च जाति के होते हैं, को देश के विकास में योगदान का अवसर नहीं मिल पाता .अतः वे अधिकतर विदेशों को चले जाते हैं और देश के विकास अवरुद्ध हो जाता है.जनता को चुनाव का अधिकार होते हुए भी वह उसका सदुपयोग नहीं कर पाती .
जनता तो देश की मालिक है उसे सिर्फ प्रितिनिधियों को चुनने का अधिकार है,वोट देने का अधिकार है बस यहीं तक जनता देश की मालिक है.जनता अपनी मेहनत से विकास करेगी,पैदावार बढ़ाएगी,मिलों में उत्पादन बढ़ाएगी, तो लाभ सरकार में बैठे नेता या फिर सरकारीकर्मी चाटते रहेंगे,फिर जनता महंगाई से पिसती रहेगी . और अपने नसीब को कोसती रहेगी.वाह रे लोकतंत्र,वाह रे जनतंत्र, या बेईमानी तेरा सहारा.......देश का विकास होगा तो विकास होगा सरकारी कर्मियों का विकास होगा नेताओं का या फिर उद्योगपतियों का ,पूंजीपतियों का ----------.
गुरुवार, 28 जुलाई 2011
समलैंगिक संबंधों को दंडनीय अपराध घोषित करना उचित नहीं.
जहाँ तक कानूनी दंड के प्रावधान का प्रश्न है,किसी भी अपराधिक गतिविधि के लिए कानूनी हस्तक्षेप आवश्यक होता है, परन्तु सामाजिक संबंधों को लेकर बनाय गए कानून बिना सामाजिक सहयोग के प्रभावहीन हो जाते हैं दहेज़ प्रथा के विरुद्ध बनाय गए कानून,किस प्रकार अपना कोई प्रभाव नहीं दिखा पाए ,सर्व विदित है. कारण है सामाजिक जागरूकता का अभाव. परन्तु तुच्छ स्वार्थ वाले व्यक्ति अपना बदला लेने की नियत से दहेज़ कानूनों का दुरूपयोग अवश्य करने लगे.जिस दिन सामाजिक चेतना आ जाएगी दहेज़ प्रथा स्वतः ही समाप्त हो जाएगी.जिस दिन समाज दहेज़ को नकारने लगेगा किसी कानून के बिना भी दहेज़ का उन्मूलन संभव हो जायेगा.
समलैंगिक सम्बन्धों को लेकर सामाजिक मान्यता न होने के बावजूद सामाजिक नियंत्रण द्वारा रोक पाना संभव भी नहीं है. क्या समाज प्रत्येक पुरुष को पुरुष से संपर्क बनाने से रोक पायेगा,स्त्री को स्त्री से मिलने से पर पाबन्दी लगा सकेगा क्या ऐसी कोई बंदिश तर्क संगत है.या किसी भी सम्बन्ध को संशय के दायरे में रखना उचित होगा.
विषम लिंगी संबंधों को लेकर अनेक सामाजिक नियंत्रण होने के बावजूद बलात्कार या अवैध सम्बन्ध जैसे अपराध नित्य प्रकाश में आते रहते हैं, समलिंगी व्यक्तियों को किस प्रकार से संपर्क बनाने से रोक सकेंगे,और जब संपर्क को नियंत्रित नहीं कर सकते तो समलिंगी संबंधों को कैसे नियंत्रित किया जा सकेगा.और जिस पर सामजिक नियंत्रण(गतिविधियों पर)ही संभव नहीं है ,कानूनी शिकंजा कितना कारगर हो सकेगा .कुछ लोग किसी पर भी बेबुनियाद आरोप लगाकर आपने तुच्छ स्वार्थ सिद्ध करने में कामयाब होते रहेंगें .उनको कानून का दुरूपयोग करने का अवसर अवश्य मिलता रहेगा .
सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद समलैंगिक विवाह या समलैंगिक संबंधों को दंडनीय अपराध बना देना उचित प्रतीत नहीं होता. आपसी सहमती से कोई भी समलैगिक सम्बन्ध बनाय तो बनाय परन्तु जबरन संबंधों को बनाना पहले से ही दंडनीय अपराध है..अर्थात इस सन्दर्भ में अनेक कानून पहले से ही मौजूद हैं.इस असामाजिक कार्य को रोकने के लिए देश के शिक्षाविदों , बुद्धिजीवियों को युवा पीढ़ी को उचित मार्ग दर्शन कराने के प्रयास करने चाहिए.
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मंगलवार, 19 जुलाई 2011
विचार मंथन (भाग चार )
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शनिवार, 9 जुलाई 2011
विचार मंथन (भाग ३)
किसी भी व्यक्ति को जन्म से पूर्व धर्म चुनने की स्वतंत्रता नहीं होती. उससे नहीं पूछा जाता की वह कौन से देश और कौन से धर्म के समाज मैं जन्म लेना चाहता है. परन्तु प्रत्येक धर्म अपने जातकों को उसके नियम और आस्थाओं को मानने के लिए बाध्य करता है. पर क्यों?उसे तर्क संगत तरीके से अपने धर्म की विशेषताओं से प्रभावित क्यों नहीं किया जाता?उसे अपनी इच्छा अनुसार धर्म चुनने क्यों नहीं दिया जाता ? प्रत्येक धर्म का अनुयायी अपने धर्म को श्रेष्ठ एवं अन्य धर्म को मिथ्या साबित करता है. जबकि सबका उद्देश्य उस अज्ञात शक्ति तक पहुंचना है, जिसे विश्व का निर्माता माना गया है.
आस्था को सिर्फ आस्था तक ही सिमित क्यों नहीं किया जा सकता. प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आस्था या विश्वास को मानने का अधिकार क्यों नहीं है?उसे अपने तर्क के आधार पर किसी धर्म को मानने की छूट क्यों नहीं दी जाती ?
क्या मुझे वेद पुराण जैसे धर्म ग्रंथों की बातों पर इसलिए विश्वास करना चाहिय क्योंकि मैं हिन्दू परिवार में पैदा हुए हूँ?
क्या मुझे कुरान एवं उसकी आयतों में इसलिए आस्था रखनी चाहिए क्योंकि मेरे जन्म दाता मुस्लिम हैं? और मुझे सच्चा मुस्लमान साबित होना होगा?
मुझे बाइबिल के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिय क्योंकि मैं ईसाई हूँ या ईसाई परिवार में जन्म लिया है ,और मेरे माता पिता ईसाई धर्म के अनुयायी हैं?
अधिकतर धर्माधिकारी तर्क की धारणा सामने आते ही आग बबूला हो जाते हैं, वे सहन नहीं कर पाते. मानवता की सच्ची सेवा ,धर्म को लागू करने में नहीं , इनसानियत को लागू करने में होनी चाहिए. वही विश्व कल्याण का रास्ता प्रशस्त कर सकता है.
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गुरुवार, 7 जुलाई 2011
विचार मंथन (भाग दो )
बच्चे के विकास में अभिभावकों की मुख्य भूमिका होती है. अभिभावकों के असंगत दवाबों में पल बढ़ रहा बच्चा संकोची एवं दब्बू बन जाता है. तानाशाही व्यव्हार बच्चे को कुंठित करता है. इसी प्रकार गंभीर विषम परिस्थितियों में पलने बढ़ने वाले बच्चे क्रोधी स्वभाव के हो जाते हैं. दूसरी तरफ अधिक लाड़ प्यार में पलने वाला बच्चा जिद्दी,उद्दंडी,एवं दिशा हीन हो जाता है. अनुशासनात्मक सख्ती बच्चे में आत्मसम्मान का अभाव उत्पन्न करती है.और आत्म ग्लानी तक ले जा सकती है.अतः अभिभावकों के लिए आवश्यक है की बच्चों के पालन पोषण में उसे निर्मल,स्वतन्त्र,प्यार भरा एवं अनुशासन का संतुलन का वातावरण उपलब्ध कराएँ. ताकि आपका बच्चा योग्य एवं सम्मानीय नागरिक बन सके. (कम शब्दों में गंभीर विचार)
राजनैतिक पदों के लिए शैक्षिक योग्यता क्यों नहीं?
सरकारी पदों पर चपरासी से लेकर सचिव की भर्ती पर न्यूनतम अहर्ता नियत होती है.उस योग्यता के आधार पर ही नियुक्ति की जाती है. परन्तु विधायक, संसद यहाँ तक मंत्री और प्रधान मंत्री तक के लिय फॉर्म भरते समय न्यूनतम शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं होती क्यों? जबकि किसी भी राजनैतिक पद पर रह कर जनता की सेवा करना कम महत्वपूर्ण कार्य नहीं है.एक मंत्री पूरे मंत्रालय को चलाता है जिसमे अनेको I .A .S .अधिकारी उसके अधीन कार्य करते हैं उन्हें नियंत्रित करने के लिय योग्यता क्यों आवश्यक नहीं?शायद इसी का परिणाम है की हमारे देश में लोकतंत्र के नाम पर लूटतंत्र विकसित हो गया है. लालची राजनेता जनता की परवाह किये बिना अफसरों के हाथों की कठपुतली बने रहते हैं.योग्य मंत्री मंत्रालय को जनता की उम्मीदों के अनुसार चला पाने में समर्थ हो सकता है और सरकारी तंत्र की कमजोरियों को पकड कर उन पर चोट कर सकता है.
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सोमवार, 4 जुलाई 2011
विचार मंथन (भाग एक)
उपरोक्त स्तिथि तो तब है जब चालीस प्रतिशत बच्चे आज भी पढने जाते ही नहीं. सिर्फ पंद्रह प्रतिशत बच्चे ही हाई स्कूल तक पहुँच पाते हैं और सात प्रतिशत किशोर ही स्नातक बन पाते हैं .उच्च शिक्षा पाने वाले युवकों का प्रतिशत तो और भी कम hoga
शुक्रवार, 24 जून 2011
पूजा की आवश्यकता क्यों ?
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गुरुवार, 23 जून 2011
YOUR CHILDREN YOUR RESPONSIBILITY:
Do you think every child brings his individuality and his future written for him or in other words,is it his inborn quality?
Do you think you don’t have enough time to give your children right direction?
Do you consider yourself incapable of teaching your children and showing right path to them?
Do you think because of your limited resources, you cannot arrange proper education to your children at the times of need?
Whether earning money is more important for your child than his education in view of family’s
ruined financial status ?
All the aforesaid reasons as thought by you, indicate that at some point or the other, you were
running away from the responsibilities towards your child. Even if the circumstances are very
difficult, it is your duty to give proper education to your child and build his character. To develop
your child as a good citizen, responsible to the society, to the country and to your family, is your
duty.
Here ‘child’ word has been used because; a child’s character can only be built during childhood
and teenage. A grown up child would be capable of bringing change into your character instead
of you changing him.
मंगलवार, 21 जून 2011
आज भी आरक्षण आवश्यक क्यों?
हमारे देश के नेता लोग वास्तव में आरक्षण समस्या का समाधान चाहते ही नहीं हैं. इसी कारण आरक्षण के मूल मकसद (पिछड़ी जातियों को मुख्य धारा में जोड़ने का )को पूरा नहीं कर पाए,क्योंकि यदि आरक्षण का मूल उद्देश्य पूरा हो जाता तो नेताओं का अपना वोट बैंक बिखर जाता. यदि इनमे ईमानदारी से उद्देश्य की पूति की इच्छा होती और पिछड़े वर्गों के सच्चे हितेषी होते तो आरक्षण व्यवस्था लागू होने दस वर्षों बाद नवीनीकरण करते समय अरक्षित वर्ग के संपन्न वर्ग (क्रीमी लायर) को आरक्षण से अलग कर देते ताकि समाज के शेष परिवार आरक्षण का लाभ ले पाते. अगर यह प्रावधान कर दिया होता, तो पिछड़ी जातियों को आज आरक्षण की आवश्यकता ही नहीं रहती .साथ ही सामाजिक समरसता के लिए आरक्षण का आधार जाति न होकर गरीबी होता. समस्त वर्ग के गरीबों के लिए अलग आरक्षण की व्यवस्था होती ताकि देश कोई भी मेधावी छात्र देश के सेवाओं से वंचित न रहता योग्य एवं मेधावी छात्र ही देश के विकास में योगदान दे सकते हैं.और राष्ट्र को विश्व का सिरमोर बना सकते है.
नेताओं की राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं ने समाज के पिछड़े वर्ग के योग्य युवाओं के साथ साथ अग्रिम वर्ग के युवाओं के साथ अन्याय किया है और देश के समुचित विकास को अवरुद्ध किया है.
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*SATYA SHEEL AGRAWAL*
शुक्रवार, 17 जून 2011
दूषित मानसिकता
बाबा रामदेव के साथ भी ऐसा ही अनर्गल प्रचार किया गया है. उनके लिए प्रचारित किया गया की उन्होंने अल्प समय में विशाल मिलकियत खड़ी कर ली ,उनके लिए प्रचारित किया गया की वे तो व्यापारी हैं,फैक्ट्री के मालिक हैं,या फिर कहा गया वे रजनीति में आना चाहते हैं,आदि,आदि.
अब सोचने की बात यह है क्या बाबा रामदेव ने अपनी मिलकियत असंवेंधानिक तरीके से खड़ी की है ,यदि नहीं, तो उन्हें भी जायदाद बनाने का पूरा अधिकार है,फिर किसी को आपत्ति क्यों?भारत का कोई भी नागरिक व्यापार करने को स्वतन्त्र है तो फिर योगी को यह अधिकार क्यों नहीं?यदि उन्होंने काला धन एकत्र किया है और कालाधन विदेशी बैंकों में जमा किया है तो अवश्य ही वे भ्रष्टाचार के दोषी होंगे .यदि वे काला धन जमा करने वाले होते तो वे काले धन के खिलाफ आवाज ही क्यों उठाते?शीशे के मकान में रहने वाला कोई दूसरे के शीशे के मकान पर पत्थर मारता है क्या?
यदि बाबा रामदेव राजनीति में आना भी चाहते है तो गलत क्या है? क्या एक राष्ट्र भक्त एवं इमानदार व्यक्ति को राजनीति में आने का हक़ नहीं है.ऐतराज तो इसलिए है की, वर्तमान नेताओं की चांदी काटने पर अंकुश लग सकता है या उनके काले कारनामे का चिटठा खुल सकता है.विरोध का कारण भी यही है अपने भ्रष्ट कारनामों को दबाने के लिए उनकी मजबूरी है वे जनता को गुमराह करें और अपने हित साधन करें .अब यह जनता के ऊपर है वह सत्य का साथ दे और देश को दल दल से निकालने का उपाय करे
शुक्रवार, 10 जून 2011
जरा सोचिये
२,जीवन में एक हज यात्रा कर लेने से जन्नत का रास्ता मिल जाता है ,गंगा में स्नान करने अथवा राम का जप करने से पापों से यानि दुष्कर्मों से मुक्ति मिल जाती है । क्या इस प्रकार की धार्मिक मान्यताएं अपरोक्ष रूप से इन्सान की दुष्कर्मों के लिए प्रेरणा स्रोत नही बन जाती ?
३,मुस्लिम धेर्म में रमजान के माह में सयंमित भोजन धारण कर शरीर को नई ऊर्जा से स्फूर्त किया जाता है साथ ही अलग अलग मौसम में भूखे प्यासे रहकर सहन शक्ति की वृद्धि होती है ।
४,किसी नदी में स्नान करने का अर्थ है ,प्रकृति की गोद में स्नान करना । जहाँ पर मानव शरीर एक साथ पांचों तत्त्व अर्थात अग्नि, प्रथ्वी, जल, वायु अवं आकाश के सम्पर्क में आता है । यदि प्रदूषित जल स्वास्थ्य का दुश्मन बन कर न खड़ा हो।
५,इतिहास गवाह है धार्मिक वर्चस्व के लिए बड़े बड़े युद्घ लड़े गए ,आज भी विश्व व्याप्त आतंकवाद के रूप में धार्मिक छद्म युद्घ जारी है।
६वैश्विकरन के इस युग में कोई भी देश अपने दम पर विकास की सीढ़ी नहीं चढ़ सकता । अतः धार्मिकता के स्थान पर .इस स्रष्टि का जन्म कैसे हुआ , कब हुआ क्यों हुआ ,आज भी रहस्य के अंधेरे में है। यदि यह मान लिया जाय की स्राष्टिकर्ता ईश्वर है तो ईश्वर की उत्पत्ति भी अबूझ पहेली है ।
२.भारतीय समाज में विवाह के अवसर पर प्रचलित 'कन्यादान 'महिलाओं के अपमान का प्रतीक है क्या बेटी कोई वस्तु या कोई पालतू जानवर है जिसे दान करने की रस्म निभाई जाती है।
३ धेर्म के ठेकेदारों ने पुरूष प्रधान समाज की रचना कर महिलाओं को दोयम दर्जे का स्थान प्रदान किया ।जिसकी इच्छाएँ ,भावनाएं ,खुशियाँ पुरुषों को संतुष्ट करने तक सीमित कर दी गई ।
४.अध्यात्मवाद इन्सान को भाग्यवादी बना कर निष्क्रिय कर देता है .क्या भाग्य के भरोसे रह कर खेतों में अनाज पैदा किया जा सकता है ? बिना श्रम के कारखानों में उत्पादन किया जा सकता है? बिना युद्घ किए देश पर आक्रमण करने वाला भाग्य के भरोसे रहकर भाग सकता है?
५.कर्म ही पूजा है पूजा कोई कर्म नहीं.
6.यह मान्यता सिद्ध हो चुकी है ,धर्म का अस्तित्व जब तक है ,जब तक किसी देश की जनता गरीब और अशिक्षित है .समृद्धि के साथ ही इश्वेरीय सत्ता भी समाप्त हो जायगी .
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सोमवार, 6 जून 2011
लिव इन रिलेशन शिप
गुरुवार, 2 जून 2011
बाबा रामदेव की जय हो
देश का नेता कैसा हो,बाबा रामदेव जैसा हो.
देश का सपूत कैसा हो ,अन्ना हजारे जैसा हो.
बाबा रामदेव ने जनता को उसकी शक्ति का अहसास करा दिया है,की लोकतंत्र में जनता की शक्ति क्या होती है?.चार चार केन्द्रिय मंत्रियों द्वारा बाबा की अगवानी के लिए एअरपोर्ट पर उन्हें मनाने के लिए पहुंचना अभूतपूर्व घटना है.सरकार ने बाबा रामदेव के आगे घुटने नहीं टेके हैं उसने उनके समर्थन में उठते जनसैलाब के सामने घुटे टेके हैं.
इस वक्त सरकार के लिए एक तरफ कुआँ है तो दूसरी तरफ खाई है .यदि वह जनता की मांग का समर्थन करती है और काला धन बाहर लाती है, भ्रष्टाचार ख़त्म करने का पुख्ता इंतजाम करती है, तो सरकार में बैठे अनेकों नेता बेनकाब हो सकते हैं शायद कुछ को जेल की हवा भी खानी पड़े. और यदि जनसैलाब की मांगों को दबाते हैं,अनदेखी करते हैं, तो उनका जनाधार खिसक जाने के पूरे चांस हैं . यही दुविधा सरकार को मजबूर कर रही है, किसी प्रकार बाबा रामदेव को अनशन करने से रोका जाय. अब समय आ गया है जब जनता को चाहिए , अन्नाहजारे एवं रामदेव जैसे नेताओं को तन मन धन से सहयोग करे और उनके आन्दोलन को किसी भी बाधा से बचाय रखे .
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