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सोमवार, 15 अगस्त 2011

अन्ना हजारे और उनका आन्दोलन


आज अन्ना जी की गिरफ़्तारी से पूरा देश आक्रोशित हो उठा है .अन्ना के आन्दोलन को जिस प्रकार से कुचलने का प्रयास किया जा रहा है, सरकार में फैली घबराहट को प्रदर्शित करता है.सभी सरकार में बैठे नेताओं और नौकर शाहों को अपना भविष्य अंधकार में दिखने लगा है.उसी प्रकार जनता में भी अनेक ऐसे व्यक्ति विद्यमान हैं,जो जाने अनजाने या फिर मजबूरी वश भ्रष्ट कार्यों का हिस्सा बने हुए हैं अथवा कभी हिस्सा रहे हैं,वे भी परेशान हैं,हैरान हैं. ये लोग आन्दोलन का समर्थन देने इच्छा रखते हुए भी अपने को जकड़ा हुआ पाते हैं. यही कारण है अन्ना जी को जो समर्थन मिलना चाहिए था उतना समर्थन नहीं मिल पा रहा है, यही वजह है की सरकारी अधिकारी आन्दोलन को कुचल देने का स्वप्न देख रहे हैं .जबकि यह उनकी भयानक भूल है अब तो प्रायश्चित स्वरूप उन्हें आन्दोलन का एवं जन लोकपाल बिल का समर्थन करना चाहिए ,यही उनके हित में हो सकता है.
मजबूरी वश या परिस्थिति वश भ्रष्टाचार में लिप्त रहे लोगों के लिए पश्चाताप का यह सुनहरी अवसर है और यदि प्रायश्चित में सजा भी भुगतनी पड़ती है तो भी अपने एवं अपने बच्चों के सुखद भविष्य के लिए त्याग मान कर तैयार रहने चाहिए. और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में अन्ना जी का साथ देना चाहिए.उन्हें आज से ही भ्रष्ट कार्यों से स्वयं को अलग कर लेने के लिए संकल्पाबद्ध हो जाना चाहिए.आपके इस प्रायश्चित से अन्ना जी के आन्दोलन को ताकत मिलेगी.

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*सत्य शील अग्रवाल *
(blogger)*

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