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शुक्रवार, 23 मई 2014

परिपक्व जनादेश-क्षेत्रीय दल पस्त


      २०१४ के लोकसभा के आम चुनावो के परिणाम चौकाने वाले थे. शायद इतने  स्पष्ट जनादेश की कल्पना किसी ने भी नहीं की थी.यह तो सभी जानते, समझते थे की कांग्रेस के विरुद्ध ही जनादेश आयेगा,क्योंकि जिस प्रकार से गत दस वर्षों में कांग्रेस शासन के दौरान भ्रष्टाचार,घोटाले निरंतर खुल कर जनता के समक्ष आ रहे थे और महंगाई ,बेरोजगारी ,अव्यवस्था आतंकवाद जैसी समस्यों से जनता क्षुब्ध हो चुकी थी, और कांग्रेसी नेता घमंड में चूर हो कर जनता की भावनाओं के प्रति  लापरवाह हो गए थे, कांग्रेस की हार तो निश्चित थी.परन्तु प्रत्येक भारतवासी के मन में यही आशंका बनी हुई थी की क्या कांग्रेस का सशक्त विकल्प कोई बन पायेगा,या देश को एक और गठबन्धन सरकार झेलने को मजबूर होना पड़ेगा. आम जनता खंडित जनादेश की आशंका से त्रस्त थी, क्योंकि गठजोड़ से बनी सरकार हमेशा अस्थिर बनी रहती है.उसके घटक दल(क्षेत्रीय दल),अपने या अपने क्षेत्र के हितों को लेकर आये दिन सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहते हैं,उन्हें देश हित या जनहित की परवाह नहीं होती.अतःसरकार के लिए देश के व्यापक हित में निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है और देश का विकास प्रभावित होता है.ऐसी गठबन्धन सरकारें अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए जूझती रहती हैं,जनहित के बारे में  सोचने के लिए इच्छा शक्ति के अभाव से पीड़ित रहती हैं.घटक दल से बने मंत्री अपनी मनमानी करते हैं घोटाले करते हैं.और सत्तारूढ़ दल उनके व्यव्हार पर अंकुश लगा पाने में असमर्थ रहता है.गत तीस वर्षों से देश को गठबन्धन सरकारें नसीब हो रही थीं,(१९८४ के चुनावो में राजीव गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला था) जिन्होंने देश को दिशा हीन और कमजोर नेतृत्व वाला देश बना दिया था,प्रत्येक प्रधान मंत्री आता और किसी प्रकार अपने कार्यकाल पूरा कर चला जाता ,उसकी रूचि  अपनी कुर्सी बनाये रखने में ही होती थी.   
     हमारे देश में राष्ट्रिय स्तर की पार्टियों की कमी रही है जो कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे सकें.और सशक्त विकल्प बन सके.जबकि क्षेत्रीय पार्टियों की भरमार है,जो स्थानीय स्तर पर तो सफल हो सकती है परन्तु राष्ट्रिय स्तर पर सरकार बनाने के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं जुटा  पाती,और परिणाम स्वरूप गठजोड़ वाली सरकारे बनती रहीं हैं.१०१४ के आम चुनावों में जनता ने अपनी परिपक्वता दिखाते हुए भारतीय जनता पार्टी को एक सशक्त राष्ट्रिय दल के रूप में कांग्रेस का विकल्प प्रस्तुत कर दिया है.अब कम से कम दो राष्ट्रिय दल देश को पूर्ण बहुमत प्राप्त कर अपने बल पर देश को स्थायी सरकार दे पाएंगे    
   आम भारतीय नागरिक के लिए जहाँ वर्तमान चुनाव परिणाम चौकाने वाले है ,वही देश और देश की जनता के भविष्य के लिए सुखद भी है. श्री नरेंद्र मोदी देश की जनता की आकाँक्षाओं को पूर्ण कर पाने में कितने सक्षम होंगे,सफल होंगे यह तो  भविष्य ही बताएगा. सबसे सुखद बात यह है की अब कांग्रेस का एक विकल्प तैयार हो गया है जो अपने दम पर सरकार बनाने की क्षमता रखता है.अब जनता की कोई मजबूरी नहीं होगी की, वह स्थायी सरकार के नाम पर कांग्रेस को ही चुने ,जबकि वह उसके कामकाज से संतुष्ट न हो. अब भविष्य में कभी कांग्रेस सत्ता में आती भी है तो उसके कामकाज में तानाशाही व्यव्हार नहीं पनप पायेगा.वर्तमान चुनावों में जनता द्वारा दिया गया स्पष्ट जनादेश इस बात का संकेत देता है की अब जनता परिपक्व निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर चुकी,यदि पार्टी उसके हितों के अनुरूप कार्य नहीं करती है तो वह तुरंत अन्य दल को सत्तारूढ़ कर देगी, जिसके लिए भारत की जनता वह बधाई की पात्र है.शायद अब क्षेत्रीय दलों की प्रासंगिकता भी ख़त्म हो जाएगी.क्षेत्रीय दल अपने क्षेत्र,अपने राज्य  तक ही सीमित रह पाएंगे या फिर वहां भी उनका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है.अब यदि वे अपने प्रतिनिधि संसद में भेजने में सफल भी होते हैं, तो भी केंद्र सरकार  के कामकाज को प्रभावित नहीं कर पाएंगे.अब कोई भी क्षेत्रीय दल या राष्ट्रिय दल जाति आधारित,धर्म आधारित,क्षेत्रवाद या भाषा वाद की राजनीति कर जनता को गुमराह नहीं कर पायेगा.       

    आज देश का प्रत्येक नागरिक गौरव के साथ कह सकता है की, वह दुनिया के सर्वाधिक विशाल और सशक्त लोकतान्त्रिक देश का नागरिक है.और आज देश का भविष्य सुरक्षित और सुखद है.अब हमारे देश को विकसित देशों की श्रेणी में ले जाने से कोई नहीं रोक सकता.और शायद हमारा देश पूरे विश्व को निर्देशित करने की क्षमता विकसित कर लेगा.