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सोमवार, 11 अप्रैल 2011

यह शमा बुझनी नहीं चाहिए

यह हमारे देश वासियों का सौभाग्य है,की बहुत समय पश्चात् देश को निःस्वार्थ सेवक के रूप में अन्ना हजारे का सहयोग मिला.उनके आमरण अनशन के आन्दोलन को जिस तीव्रता से देश को करोडो लोगों का समर्थन मिला,उतनी ही तीव्रता से सरकार डोलने लगी. परिणाम स्वरूप जन लोक पाल बिल लाने की घोषणा करनी पड़ी. अन्ना जी की सभी मांगों को मानने को विवश होना पड़ा.परन्तु अभी हमें बहुत अधिक खुश नहीं होना चाहिए हमें सावधान होना होगा,वर्तमान कुटिल नेताओं की चालों से. हमें सावधान रहना होगा, रणनीति निर्माताओं के झूठे मनलुभावन वायदों से.हमें सतर्क रहना होगा घोटालेबाजों के दांव पेंचों से .क्योंकि अपने आर्थिक हितों को कोई भी आसानी से छोड़ना नहीं चाहेगा. कोई नेता,मंत्री स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी क्यों मारना चाहेगा,जो वे ऐसे कानून बना लें जिससे उन्हें जेल की हवा खानी पड़े. अतः उन पर दवाब बनाय रखना पड़ेगा. आज जिस शमा को अन्नाजी ने जलाया है उसे लगातार संघर्ष के द्वारा जलाय रखना होगा .इसके साथ ही अपने समाज में व्याप्त अनैनिकता,हिंसा अत्याचार बलात्कार जैसे भ्रष्ट आचरणों को निकल फैंकना होगा .तब ही भ्रष्ट तंत्र से छुटकारा मिल पायेगा. और एक सभ्य प्रगतिशील समाज का उदय हो पायेगा.मानवता की रक्षा हो सकेगी

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