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शुक्रवार, 25 मार्च 2011

गौरक्षा कैसे हो ?

धार्मिक ग्रंथो में वर्णित संदर्भो का हवाला देते हुये,गाय को माता का स्थान दिया जाता है और उसकी समय समय पर पूजा की जाती है.समाज कि इसी मनोवृत्ती के कारण गौरक्षा के अनेक आंदोलन चलाये जाते रहे है .परंतु इन आंदोलनो को कभी भी सार्थक रूप नहीं दिया गया. कुछ स्वार्थी लोग समाज कि धार्मिक भावना का लाभ अपने धनार्जन के लिये उठाते रहे हैं..
धर्म ग्रंथो में गाय को माता के रूप में पूजने का एक उद्देश्य था . क्योंकी गाय के दूध,गोबर,मूत्र सभी मानव स्वास्थ्य के लिये लाभदायक हैं .सभी वस्तुये दवा में भी प्रयोग कि जाती हैं . अतः आम जनता को गाय के पूजने का कारण बताना, उनका उपयोग करने के लिये प्रेरित करना आवश्यक है. सिर्फ गाय को माता मानकर पूज लेने से कोई भला नहीं होने वाला. सिर्फ आस्था के नाम पर धन बटोरना जनता के साथ धोका है.
यदि वास्तव में गौरक्षक गौरक्षा के हितैषी हैं.,तो जहाँ हजारों गाय रोजाना मीट के लिय काट दी जाती हैं, ,उनके खिलाफ आंदोलन क्यो नही चलाये जाते.गलियों में घुमती गायो के कल्याण के लिय तथाकथित गौरक्षक क्या करते हैं .गायो के दूध से समाज को लाभ पहुँचाने के लिये गाय कि नस्ल को सुधारने के प्रयास क्यों नहीं किये जाते ,ताकी गाय पालकों के लिये गाय का दूध बेचना लाभप्रद हो सके और जनता को गाय के दूध का लाभ प्राप्त हो सके.
सिर्फ गौशाला एवं गौरक्षा के नाम पर धार्मिक भावना को नक्दीकरण करना अन्याय है, धोखा है,जनता को भ्रमित करना है. जनता को गाय पूजने से लाभ होने वाला नही है.बल्की उसके दूध के सेवन से स्वास्थ्य लाभ मिल सकता है. अतः तथाकथित गौराक्षकों को नाटक बंद करना होगा और समाज के हित में कार्य करना होगा.


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