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सोमवार, 17 जनवरी 2011

जरा सोचिये १७जनवरी (नेताओं के विवादस्पद बयान)



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प्रारंभ अप्रैल 2016


हमारे देश के कर्णधार अर्थात नेताओं की अक्ल का दिवाला निकल चुका है। यही कारण है है की निरंतर गैर जिम्मेदार बयान बजी करते रहते हैं।जब फंस जाते हैं तो सफाई देने का प्रयास करते हैं देखते हैं कुछ विवादस्पद बयानों के अंश;


मुंबई मराठियों की है, अन्य प्रदेशों से आए नागरिकों की नहीं.....................(राज ठाकरे।ऍम एन एस)

देश को खतरा इस्लाम से भी अधिक कट्टर हिन्दू आतंकवाद से है...............(राहुल गाँधी कांग्रेस )

दिल्ली में अन्य प्रदेशों से आए लोग अपराध करते हैं.................................(पी चिदंबरम गृह मंत्री )

केंद्रीय मंत्री मंडल में सिर्फ एक मुस्लमान मंत्री गुलाम नवी आजाद हैं और वह भी कश्मीर के हैं (आजम खान स।पा।)

मुख्य मंत्री जम्मू कश्मीर कहते हैं कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय नहीं हुआ है।(उमर अब्दुल्ला )

पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर के अनुसार वायु यान में इकोनोमी क्लास में केत्तल(पशु) सफ़र करते हैं।(शशि थरूर )

उपरोक्त बयानों से स्पष्ट है,हमारे देश की बागडोर कैसे नेताओं के हाथ में है जो आपने विवादित बयान देकर देश को संकट में डालते रहते हैं।शायद ऐसे नेताओं को चुनकर भेजने में कहीं न कहीं हम यानि आम जनता भी जिम्मेवार है।

प्रिय पाठकों
प्रबुद्ध नागरिक होने के नाते हम सबका कर्तव्य है,की समाज में व्याप्त विकृतियों को संज्ञान में लें और यथाशक्ति उनको दूर करने का प्रयास करें.मेरे ब्लॉग लिखने का मकसद भी यही है.आपके द्वारा भेजे गए सुझाव आलोचनाएँ, विचार मेरे लिए प्रेरणा स्रोत साबित हो सकते हैं.धन्यवाद.

गुरुवार, 13 जनवरी 2011

JARA SOCHIYE: जरा सोचिये ....१० जनवरी २०११

JARA SOCHIYE: जरा सोचिये ....१० जनवरी २०११: "इन्सान इतना फितरती है उसे जितना अधिक धन मिल जाता है उसकी भूख भी उसी हिसाब से बढती जाती है, उसका लालच बढ़ता जाता है। यही लालच उसे कदाचार,..."

बुधवार, 5 जनवरी 2011

जरा सोचिये ५ जनवरी .2011


हम अपनी खून पसीने की कमाई से की गयी बचत को मुख्यतया दो अवसरों पर खर्च करते हैं। एक तो अपने निवास स्थान बनाने और उसकी साज सज्जा पर,दूसरे अपनी संतानों के विवाह समारोहों के अवसरों पर। गृह एवं उसकी सज्जा पर किया गया खर्च कालांतर में हमें लाभान्वित करता है परन्तु विवाह आयोजन पर किये गए खर्च में अधिकांश भाग किसी तीसरे पेशेवर व्यक्तिके हाथों में चला जाता है,जैसे मंडप मालिक,प्रोविजन स्टोर मालिक, सजावट वाला गाजे बजे वाला इत्यादि। क्योकि हम पंडितों द्वारा सुझाई गयी तारीखों पर ही विवाह संपन्न करते हैं,अतः उन चंद तारीखों पर व्यस्तता होने के कारण प्रत्येक वस्तु ,प्रत्येक पेशेवर महंगा मिलता है.जो हमारा बजट कम से कम २५% बढा देता है।

परम्पराओं के अनुसार विवाह करने के लिय अपने समाज में अपना रुतबा ज़माने के लिए भारी कीमत चुकाते हैं.यदि हम किसी भी अव्यस्त दिनांक को एवं सूक्ष्म रूप से समारोह आयोजित करे और बचाए गए पैसे को अपने बच्चों के भावी जीवन के लिए सुरक्षित कर दें तो अपने बच्चों के भविष्य के लिए लाभकारी हो सकता है.यह देखा गया है विवाह समारोह में आम आगंतुक की कोई दिलचस्पी नहीं होती वे सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर चल देते हैं फिर इतना तम झाम किसलिए?क्यों न हम खास लोगों को बुला कर विवाह संपन्न करें?
 
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सोमवार, 3 जनवरी 2011

जरा सोचिये 7 जनवरी २०११


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प्रारंभ अप्रैल 2016

  • मुसलमान ऐसा मानते हैं की मुस्लिम मत के आलावा दुनिया में जो कुछ है वह ख़राब है,इसलिए तुरंत ही उसका नाश जरूरी है


  • जो कोई स्त्री या पुरुष इस्लाम मत को न मानता हो,उसे पहले से सावधान किये बिना ही मौत के घाट उतार देना चाहिए।


  • मुसलमानों के इबादत के स्थान यानि मस्जिद के आलावा किसी भी दूसरे धेर्म की पूजा,प्रार्थना का स्थान हो तो उसको तोड़ डालना चाहिए।


  • यदि कोई पुस्तक कुरान के आलावा आदेश देती हो तो, ऐसी हर एक पुस्तक को जला डालना चाहिए।

कुरान से प्राप्त उपरोक्त सन्देश ही दुनिया में सारे फसादों की जड़ बनी हुई है.




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     वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं पर आधारित पुस्तक “जीवन संध्या”  अब ऑनलाइन फ्री में उपलब्ध है.अतः सभी पाठकों से अनुरोध है www.jeevansandhya.wordpress.com पर विजिट करें और अपने मित्रों सम्बन्धियों बुजुर्गों को पढने के लिए प्रेरित करें और इस विषय पर अपने विचार एवं सुझाव भी भेजें.   

मेरा   इमेल पता है ----satyasheel129@gmail.com
 










बुधवार, 29 दिसंबर 2010

जरा सोचिये ३० दिस 2010

  • आज प्याज के बढे दामों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है.प्याज की महंगाई के कारण एक बार केंद्र की सरकार भी गिर चुकी है। आज भी केंद्रीय सत्ता दावं पर लगी हुई है.पता नहीं प्याज भोजन का इतना आवश्यक अंग है,जिसके बिना रसोई का काम नहीं चल सकता। जिसके कारण यह राजनीति का मुख्य मुद्दा बन गया है।
  • नित ने खुल रहे घोटालों के चलते क्या अपना देश विश्व में अपनी साख बचा पायेगा?जिसके बिना देश का विकास संभव नहीं है।
  • क्षेत्रीय पार्टियाँ एवं राष्ट्रिय पार्टियाँ भी आपने स्वार्थ के लिए अन्य प्रदेशों से आए लोगों के विरूद्ध जहर उगल कर कहीं देश के विभाजन को आमंत्रण तो नहीं दे रहे?
  • कट्टर हिंदूवादी पार्टिया हिन्दुओं से अधिक बच्चे पैदा कर हिन्दू आबादी बढ़ने का आह्वान कर रहे हैं। जिस देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही आबादी के बोझ से कराह रही है.क्या अब भी आबादी बढ़ाने की सलाह,(सिर्फ मुस्लिमों से प्रतिद्वंद्विता के कारण)आत्महत्या करने जैसा नहीं है.महंगाई के युग में एक या दो बच्चे को अच्छे जीवन स्तर योग्य बना पाना भी कठिन हो रहा है.
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