Powered By Blogger

बुधवार, 5 जनवरी 2011

जरा सोचिये ५ जनवरी .2011


हम अपनी खून पसीने की कमाई से की गयी बचत को मुख्यतया दो अवसरों पर खर्च करते हैं। एक तो अपने निवास स्थान बनाने और उसकी साज सज्जा पर,दूसरे अपनी संतानों के विवाह समारोहों के अवसरों पर। गृह एवं उसकी सज्जा पर किया गया खर्च कालांतर में हमें लाभान्वित करता है परन्तु विवाह आयोजन पर किये गए खर्च में अधिकांश भाग किसी तीसरे पेशेवर व्यक्तिके हाथों में चला जाता है,जैसे मंडप मालिक,प्रोविजन स्टोर मालिक, सजावट वाला गाजे बजे वाला इत्यादि। क्योकि हम पंडितों द्वारा सुझाई गयी तारीखों पर ही विवाह संपन्न करते हैं,अतः उन चंद तारीखों पर व्यस्तता होने के कारण प्रत्येक वस्तु ,प्रत्येक पेशेवर महंगा मिलता है.जो हमारा बजट कम से कम २५% बढा देता है।

परम्पराओं के अनुसार विवाह करने के लिय अपने समाज में अपना रुतबा ज़माने के लिए भारी कीमत चुकाते हैं.यदि हम किसी भी अव्यस्त दिनांक को एवं सूक्ष्म रूप से समारोह आयोजित करे और बचाए गए पैसे को अपने बच्चों के भावी जीवन के लिए सुरक्षित कर दें तो अपने बच्चों के भविष्य के लिए लाभकारी हो सकता है.यह देखा गया है विवाह समारोह में आम आगंतुक की कोई दिलचस्पी नहीं होती वे सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर चल देते हैं फिर इतना तम झाम किसलिए?क्यों न हम खास लोगों को बुला कर विवाह संपन्न करें?
 
मेरे नवीनतम लेखों को पढने के लिए विजिट करें.  WWW.JARASOCHIYE.COM
प्रारंभ अप्रैल 2016

2 टिप्‍पणियां:

CA Anuj Agrawal ने कहा…

Its like boon for our present social era, the way you write and hit very sharpley on the subject...i do not have words to say further on your efforts....

what i can say is that you probably have lost your valuable time by not writing before...

its long way to go as for you "SKY IS A LIMIT"

बेनामी ने कहा…

100% SAFALTA MILEGI.