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गुरुवार, 11 जून 2015

मानसिक व्याधियां आधुनिकता की देन


मानव के विकास के साथ साथ इन्सान में भौतिक प्रतिस्पर्द्धा  गलाकाट स्तर तक पहुँच चुकी है.हर व्यक्ति जल्द से जल्द दुनिया की सभी सुविधाओं को जुटा लेना चाहता है,इसी प्राप्ति की महत्वाकांक्षा में वह अपने दिन रात का चैन गवांता जा रहा है.उसकी चूहा दौड़ उसे तनाव ग्रस्त कर रही है.अर्थात मानव विकास तनावग्रस्त जीवन का पर्याय बनता जा रहा है.शायद एक आम आदमी अपने सुख और ख़ुशी की तलाश में अपना जीवन लगा देता है. परन्तु शायद उसे वास्तविक  ख़ुशी फिर भी प्राप्त नहीं हो पाती. व्यक्ति जैसे जैसे साधन संपन्न होता जाता है, वह मानसिक व्याधियों का शिकार होने लगता है. भौतिक वस्तुओं में सुख की तलाश में उसे मिले अनेक मानसिक तनाव, उसे बीमार कर देते हैं.आज यह स्थिति इतनी भयानक रूप ले चुकी है,विश्व में हर तीसरा  व्यक्ति अवसाद का शिकार हो चुका है 
        विकास की आकांक्षा में इन्सान ने प्रकृति का बेतहाशा दोहन किया है और किया जा रहा है. जिसने प्रकृति का संतुलन तो बिगाड़ा ही है,हवा,पानी को  प्रदूषित कर मानव स्वास्थ्य के लिए कठिनाइयाँ पैदा कर दी हैं. मानसिक तनाव के मुख्य लक्षण जो अक्सर देखने को मिलते हैं वे हैं, बैचैनी, उदासी, चिडचिडापन, घबराहट, निराशा, नींद की कमी, भुलक्कड़पन, क्रोध,एवं किसी काम में मन न लगना इत्यादि, और जब ये लक्षण वीभत्स रूप में घर कर लेते हैं तो व्यक्ति की मनः स्थिति आत्महत्या करने तक पहुँच जाती है. यही हैं आधुनिकता और मानव विकास के दुष्परिणाम.
         मानसिक तनाव और मानसिक व्याधियों के पश्चात् उसे अनेक गंभीर शारीरिक व्याधियां घेर लेती हैं,जो आज आम होती जा रही है जैसे उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग, मधुमेह, थाइरोइड, पेट की बीमारियाँ, केंसर इत्यादि.जिनसे वह आजीवन छूटकारा नहीं ले पाता.अब उसकी i कमाई बीमारियों के इलाज पर खर्च होने लगती है, जीवन कष्टकारी हो जाता है,वह अलग से. कभी कभी तो बीमारियों से लड़ने में वह अपनी सारी जमा पूँजी गवां देता है और फिर भी जीवन को नहीं बचा  पाता.
          मानसिक तनाव व्यक्ति की कार्य क्षमता पर  भी बुरा प्रभाव डालता है,वह उत्साह हीन होने लगता है,उसमे आत्मविश्वास की कमी आने लगती है.किसी भी कार्य में अरुचि भी उसकी तनाव जनित उदासीनता ही होती है.

मानसिक तनाव से बचने के कुछ निम्न उपाय अपनाये जा सकते हैं,
ü   जहाँ तक संभव हो प्रतिस्पर्द्धा से बचने के प्रयास किये जाएँ.प्रतिस्पर्द्धा सिर्फ अपने से किया जाय अर्थात अपनी कार्य क्षमता को निरंतर बढाने के प्रयास किये जाने     चाहिए.
ü  न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ती के पश्चात् आत्म संतोष बना लिया जाय, तो मानसिक तनाव का स्तर काफी कम किया जा सकता है.
ü  कभी भी दूसरे को नीचा दिखाने या किसी को गिराने की चाह में अपने जीवन के अमूल्य समय को नहीं गवाना चाहिए.किसी को गिराने में अपनी ख़ुशी ढूंढना सिर्फ भ्रम है.सिर्फ अपनी ख़ुशी और अपनी उन्नति के बारे में  iसोचना चाहिए.
ü   किसी व्यक्ति से इर्ष्या करना आपके मन की शांति को प्रभावित करता है.
ü  अपने को व्यस्त रखना भी मानसिक तनाव से बचने का उपाय है.
ü  नियमित व्यायाम और योग करना, मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है.
ü  अपने व्यस्त समय में भी स्वयं के लिए समय निकालना चाहिए,और जो आपको मानसिक ख़ुशी दे सके वह कार्य करना चाहिए.
ü  लम्बे समय तक भारी दबाव में कार्य करना, मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो  सकता है.




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