Powered By Blogger

सोमवार, 22 जून 2015

कितनी सुरक्षित है महिला ?





<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
<!-- s.s.agrawal -->
<ins class="adsbygoogle"
     style="display:block"
     data-ad-client="ca-pub-1156871373620726"
     data-ad-slot="2252193298"
     data-ad-format="auto"></ins>
<script>
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
</script>
     समस्त विश्व में हो रहे तेजी से विकास की दौड़ में शामिल होते हुए ,भारत में सैंकड़ों वर्षों से दबी कुचली महिला वर्ग    ने आत्म सम्मान पाने,और घरेलू शोषण से मुक्ति पाने का बीड़ा उठाया. महिला वर्ग ने शिक्षा प्राप्त कर ,विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों से कंधे से कन्धा मिलाकर चलना प्रारंभ किया. आज वह आर्थिक मोर्चे पर भी परिवार का सहयोग कर रही है ,उसने प्रत्येक कार्य क्षेत्र में अपनी पैठ बनायीं है.और अपने को बेहतर साबित किया है .परन्तु वह आज भी अपनी सुरक्षा को ले कर आश्वस्त नहीं हो पा रही है.उसके प्रति नित्य होने वाले अपराध उसकी उन्नति में बाधक बन रहे हैं , कभी वह कार्यालय से आते हुए बलात्कार की शिकार होती है , तो कभी सड़क पर चलते ,लोकल बस या ट्रेन में सफ़र करते ,लिफ्ट में सवारी करते .यहाँ तक की ऑफिस या कारखाने में ही बलात्कार , छींटा कशी , छेड़ खानी की शिकार होती रहती है .वह कभी अपने ही घर में पुरुष वर्ग के शोषण की शिकार होती थी ,आज शहर या गाँव के सुनसान क्षेत्रों में बदनीयती की शिकार होती है ..2006 में एकत्र किये गए आंकड़ों (इंटरनेट से प्राप्त ) के अनुसार,हमारे देश में , मात्र एक वर्ष में करीब बीस हजार केस बलात्कार और करीब छतीस हजार छेड़खानी के केस प्रकाश में आए ,करीब इतने ही केस ऐसे होंगे जो दर्ज हुए ही नहीं यानि जिनकी शिकायत दर्ज ही नहीं की गयी .उपरोक्त आंकड़ों में प्रतिवर्ष बढ़ोतरी ही हो रही है. ये आंकड़े समस्या की भायवहता को उजागर करते हैं आए दिन होने वाली महिलाओं के साथ अप्रिय घटनाओं की जिम्मेदार शासन व् प्रशासन को माना जाता है .कुछ हद तक प्रशासन को जिम्मेदार मानना उचित भी है. यह भी सत्य है , की ,आज हमारा पुलिस तंत्र संवेदनहीन एवं भ्रष्ट आचरणों का शिकार है.वह नागरिकों के लिए सहयोगी कम, प्रताड़ना का पर्याय अधिक बना हुआ है. जिस कारण वह अपने दायित्व को निभा पाने में नाकामयाब रहता है, उसकी उदासीनता और कर्तव्य के प्रति लापरवाही अपराधी के लिए अपराध करने का प्रेरणा स्रोत बन गयी है ,वह भय मुक्त हो गया है.  और अन्य अपराधिक गतिविधियों के साथ, महिलाओं के साथ भी दुर्व्यवहार की घटनाएँ बढ़ रही हैं. परन्तु आम आदमी की मानसिकता में बदलाव लाना भी आवश्यक है,उसमे जागरूकता लानी होगी,ताकि वह नारी को सिर्फ उपभोग का सामान समझना छोड़, उसे भी अपनी भांति एक इन्सान मान कर उसका सम्मान करना सीखे .उसकी इच्छाओं एवं भावनाओं की कद्र करना सीखे ..कभी भी किसी महिला के साथ हो रहे अत्याचार ,दुर्वयवहार की अनदेखी न कर ,पुरजोर विरोध करे ,.अपराधी के इरादों को पस्त करे .महिला की रक्षा करने में अपना सहयोग प्रदान करे .
          कुछ समय पूर्व  महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों को ध्यान में रखते हुए हरियाणा पुलिस के डिप्टी कमिश्नर ने पंजाब शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1958 के अंतर्गत सभी वाणिज्यिक संस्थानों के नियोजकों को निर्देश जारी किया है, की वे बिना श्रम विभाग की अनुमति के किसी महिला कर्मी को रात्रि आठ बजे के उपरांत न रोकें.यह उचित भी है बीमार होने से अच्छा है उसे बचने के उपायों पर ध्यान दिया जाये .कुछ इस आदेश का विरोध करने वाले लोगों का कहना उचित नहीं लगता की प्रशासन ने अपनी अक्षमता को छुपाने के लिए इस प्रकार का फरमान सुनाया है .देश के प्रत्येक नागरिक को भी अपने कर्तव्य निभाने चाहिए ,सिर्फ शासन ,प्रशासन या पुलिस तंत्र पर जिम्मेदारी छोड़ कर स्वछंदता अपनाना उचित नहीं माना जा सकता .दूसरी तरफ प्रशासन को भी त्वरित तौर पर और निष्पक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए ,पीड़ित व्यक्ति के साथ सहानुभूति का व्यव्हार होना चाहिए . अपराधी में खौफ पैदा होना चाहिए ,ताकि वह किसी भी प्रकार के अपराध करने से पहले सौ बार सोचे किसी भी शासन या प्रशासन के लिए यह संभव नहीं है की वह शहर या देहात के चप्पे चप्पे पर अपनी निगाह बनाये रख सके और अपराधों पर अंकुश लगा सके .अपने देश के पुरुषों की मानसिकता को समझते हुए नारी वर्ग को भी अपने आचार , व्यव्हार, तथा पहनावे में शालीनता बनाये रखना चाहिए . उसे निर्जन स्थानों पर जाने से बचना चाहिए . सब कुछ कानून के या पुलिस तंत्र के भरोसे छोड़ देना उचित नहीं है . आखिर उसकी इज्जत का सवाल है .पहले महिला की इज्जत तार तार होती है , फिर प्रशासन पर आरोप लगते हैं और उसकी कार्यवाही शुरू होती है .परन्तु उसकी इज्जत को कदापि नहीं लौटा सकता .अतः अपनी सुरक्षा का दायित्व सर्वप्रथम स्वयं नारी का है.
निम्न लिखित उपाय यदि कोई महिला अपना ले तो काफी हद तक अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकती है
1,अपने वस्त्राचरण पर ध्यान दे,उत्तेजक एवं तन दिखाऊ वस्त्रों से परहेज करे कम से कम सार्वजानिक स्थलों पर.
2,आत्म रक्षा के उपायों के रूप में जुडो कराते ka अभ्यास करे .जो उसका आत्म विश्वास भी बढ़ाएगा ,और शरारती तत्वों में खौफ भी पैदा करेगा
3,प्रत्येक महिला को अपने घर से बाहर निकालने से पूर्व अपने पर्स में पीसी हुई मिर्ची,या स्प्रे  रखनी चाहिए जो आपदा की स्तिथि में उसके काम आ सकें .
4.अपने साथ होने वाले किसी भी दुर्व्यवहार की जानकारी अपने परिजनों एवं पुलिस को अवश्य दें ताकि अवांछनीय लोगों के हौसले न बढ़ें, और दोषी को उपयुक्त सजा मिल सके
5.
जहाँ तक संभव हो निर्जन स्थानों पर अकेले न जाएँ , तथा रात्रि के समय कहीं भी अकेले जाने से बचें
    इस प्रकार यदि प्रशासन के साथ महिलाएं भी सहयोग करें तो अवश्य ही शर्मनाक स्तिथियों से बचने में सफलता मिलेगी .महिलाएं स्वतन्त्र होकर अपने कार्यों को आगे बढा सकेंगी.और समाज के विकास में अपना योगदान दे सकेंगी <script src="https://www.gstatic.com/xads/publisher_badge/contributor_badge.js" data-width="88" data-height="31" data-theme="light" data-pub-name="Your Site Name" data-pub-id="ca-pub-00000000000"></script>
 .

कोई टिप्पणी नहीं: