Powered By Blogger

बुधवार, 2 नवंबर 2011

व्यंग (भाग दो)

मोहन लाल ;बहुत शर्म की बात है हमारे समाज में नारियों को हजारो वर्षों से प्रताड़ित किये रखा गया है उसे कभी पुरुषों के बराबर का स्थान नहीं दिया गया .
राजेश ;इसी समाज की यह भी खासियत है ,किसी भी पुरुष के लिए उसकी पत्नी (पत्नी के रूप में नारी) उसका चरित्र प्रमाण पत्र भी होती है.
मोहन लाल;परन्तु वह कैसे ?
राजेश; बिना पत्नी के पुरुष को मकान किराये पर नहीं मिलता,परिवार में विवाह के पश्चात् किसी भी पुरुष का सम्मान बढ़ जाता हैउसकी विश्वसनीयता बढ़ जाती है .बिना पत्नी के पुरुष को किसी परिवार बेरोकटोक प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती. अकेला पुरुष (पत्नी के बिना)समाज में संदेह के घेरे में रहता है. यहाँ तक की पत्नी के साथ जाने वाले व्यक्ति को पुलिस वाला भी आसानी (बिना ठोस सबूत के )हाथ नहीं डालता
मोहन लाल; बात तो पाते की है.
राजेश ; अब बताइए सम्माननीय नारी है या आप ? .

--


*SATYA SHEEL AGRAWAL*
(blogger)*
*

4 टिप्‍पणियां:

sajjan singh ने कहा…

भारतीय समाज अपने चरित्र से ही पाखंड़ी और ढ़ोगीं है। हम अपनी महान संस्कृति की आलोचना से अकसर बचते हैं लेकिन हर जगह इसकी महानता के गीत गाना हमारा राष्ट्रीय शगल है। रोचक व्यंग्य।

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

सज्जन भाई ने कहा है ही…पाखंड बहुत है हमारे यहाँ…

मनोज कुमार ने कहा…

आपकी (राजेश) बात में दम तो है, भले ही बात व्यंग्य के लहजे में कही गई हो।

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपके पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।