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* हम इस संसार में पैदा होते, बढ़ते हैं, जवान होते हैं. फिर वृद्ध हो जाते हैं, अंत में मौत को प्राप्त होते हैं उसके बाद सब कुछ ख़त्म. प्रत्येक जीव के साथ यही होता है, परन्तु क्यों? कोई जीव क्यों पैदा होता है और क्यों मर जाता है? यानि मिटटी से उत्पन्न हो कर मिटटी में ही मिल जाता है.
**प्रत्येक जीव पैदा होता है तो मौत भी निश्चित है. परन्तु कोई भी जीव कभी भी मरना नहीं चाहता. यह भी एक विडंबना है.
***प्रत्येक जीव सूक्ष्म रूप में उत्पन्न होकर स्वतः अपने निश्चित आकार तक विकसित होता है. क्यों और कैसे समझ परे है.
****प्रथ्वी पर मौजूद खनिज भंडार जैसे लोहा,सोना,चांदी,ताम्बा, खानों में कैसे आया और क्यों? कोई तर्क संगत उत्तर उपलब्ध नहीं है.
*****पूरे ब्रह्मांड में जीवधारियों के उपयुक्त वातावरण सिर्फ पृथ्वी पर ही मौजूद होना रहस्य का विषय है. मौसम का स्वतः संतुलन आवश्यकतानुसार गर्मी, सर्दी, बरसात सिर्फ पृथ्वी पर ही है
******ब्रह्माण्ड में मौजूद तमाम गृह-उपगृह कैसे अस्तित्व में आए, आज तक कोई नहीं बता पाया.
*******हमारे सभी धर्मों में ईश्वर की कल्पना की गयी है, परन्तु यह सोच पाने में सफलता नहीं मिल पाई की उस तथाकथित ईश्वरीय शक्ति का उद्भव कैसे हुआ और क्यों?
* हम इस संसार में पैदा होते, बढ़ते हैं, जवान होते हैं. फिर वृद्ध हो जाते हैं, अंत में मौत को प्राप्त होते हैं उसके बाद सब कुछ ख़त्म. प्रत्येक जीव के साथ यही होता है, परन्तु क्यों? कोई जीव क्यों पैदा होता है और क्यों मर जाता है? यानि मिटटी से उत्पन्न हो कर मिटटी में ही मिल जाता है.
**प्रत्येक जीव पैदा होता है तो मौत भी निश्चित है. परन्तु कोई भी जीव कभी भी मरना नहीं चाहता. यह भी एक विडंबना है.
***प्रत्येक जीव सूक्ष्म रूप में उत्पन्न होकर स्वतः अपने निश्चित आकार तक विकसित होता है. क्यों और कैसे समझ परे है.
****प्रथ्वी पर मौजूद खनिज भंडार जैसे लोहा,सोना,चांदी,ताम्बा, खानों में कैसे आया और क्यों? कोई तर्क संगत उत्तर उपलब्ध नहीं है.
*****पूरे ब्रह्मांड में जीवधारियों के उपयुक्त वातावरण सिर्फ पृथ्वी पर ही मौजूद होना रहस्य का विषय है. मौसम का स्वतः संतुलन आवश्यकतानुसार गर्मी, सर्दी, बरसात सिर्फ पृथ्वी पर ही है
******ब्रह्माण्ड में मौजूद तमाम गृह-उपगृह कैसे अस्तित्व में आए, आज तक कोई नहीं बता पाया.
*******हमारे सभी धर्मों में ईश्वर की कल्पना की गयी है, परन्तु यह सोच पाने में सफलता नहीं मिल पाई की उस तथाकथित ईश्वरीय शक्ति का उद्भव कैसे हुआ और क्यों?
{वरिष्ठ नागरिकों की
समस्याओं पर आधारित पुस्तक “जीवन संध्या”
अब ऑनलाइन फ्री में उपलब्ध है.अतः सभी पाठकों से अनुरोध है www.jeevansandhya.wordpress.com
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अपने विचार एवं सुझाव भी भेजें.}
मेरा इमेल पता है ----satyasheel129@gmail.com
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