Powered By Blogger

मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

देश के भावी प्रधान मंत्री -नरेंद्र मोदी या सुषमा स्वराज?


आज पूरे देश में राजनैतिक गलियारों में लोकसभा के आगामी २०१४ में होने वाले आम  चुनावो में जीतने के लिए भावी प्रधान मंत्री की घोषणा को लेकर गर्मागर्म बहस छिड़ गयी है। देश की प्रमुख पार्टियाँ  भावी प्रधानमंत्री के लिए अपने पार्टी के नेता के नाम की घोषणा करने को उत्साहित दीख रही हैं।एक तरफ कांग्रेस पार्टी में राहुल गाँधी को  भावी प्रधानमंत्री के तौर  पर देखने के प्रयास किये जा रहे है, तो कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मनमोहन सिंह द्वारा ही तीसरी पारी खेले जाने  की कयास लगा रहे हैं।कांग्रेस पार्टी में शेष वरिष्ठ नेताओं का नाम नेता के तौर पर उछलना वर्जित है।इस पार्टी में तो गाँधी परिवार का सदस्य ही नेत्रित्व संभाल  सकता है या सोनिया गाँधी द्वारा प्रायोजित व्यक्ति ही प्रधान मंत्री की कुर्सी प्राप्त कर सकता है। अन्यथा पार्टी अनेक भागो में विभाजित हो जाएगी और कोई भी नेत्रित्व सँभालने लायक नहीं होगा।पिछले कुछ समय से देश में व्याप्त महंगाई, अव्यवस्था और भ्रष्टाचार से जनता बुरी तरह से त्रस्त हो चुकी है,देश की जनता का कांग्रेस से मोह भंग हो चुका है।अन्ना के भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन ने आग में घी का काम  किया है ,अतः अगले आम चुनावों में कांग्रेस को सत्ता मिलने के कोई आसार नजर नहीं आते। शायद इसी कारण  देश की  प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी सत्ता का सुख चखने को खासी आश्वस्त है और उसके द्वारा घोषित प्रधान मंत्री के उम्मीदवार की आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।  भाजपा में इस बार गुजरात में मुख्यमंत्री के तौर पर तिकड़ी लगाने वाले लोकप्रिय नेता नरेन्द्र मोदी को  भावी प्रधान मंत्री के प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा है,परन्तु सप्रंग अर्थात NDA की कुछ पार्टियां विशेष रूप से नरेंद्र मोदी के विरुद्ध खड़ी हैं,उन्हें नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार्य नहीं है।विरोध करने वालों में बिहार के वर्तमान मुख्य मंत्री और  JDU (जनता दल यूनाइटेड) के नेता  नितीश कुमार एवं शरद यादव विशेष रूप से सामने हैं।  हैं। जो उन्हें उनके शासनकाल में हुए 2002 के गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार मानते हुए, एक सांप्रदायिक छवि वाला व्यक्ति मानते हैं। उन्हें नरेंद्र मोदी के अतिरिक्त कोई भी अन्य भाजपा नेता स्वीकार्य है।शायद उन्हें बिहार में अपनी मुस्लिम वोटर की चिंता सता रही है,जिसके सहारे वे कांग्रेस को बिहार से दूर रखने में कामयाब हो सकते हैं।या फिर भाजपा के गठबंधन से हट कर अपने भविष्य को अधिक सुरक्षित मान रहे हैं।
       भाजपा में एक खेमा पार्टी के सबसे बुजुर्ग नेता लालकृष्ण अडवाणी को अगले प्रधान मंत्री के तौर पर देखने का  इच्छुक है।परन्तु पार्टी के युवा कार्यकर्त्ता नयी पीढ़ी का प्रधान मंत्री चाहते हैं।इस प्रकार भाजपा में नरेंद्र मोदी से हट कर दो मुख्य वरिष्ठ नेताओं के नाम लिये  जा सकते हैं,वे है अरुण जेटली और सुषमा स्वराज इन दोनों में महिला होने के नाते सुषमा स्वराज की दावेदारी प्रबल लगने लगती है।अंत में भाजपा के दो मुख्य भावी प्रधानमंत्री के दावेदार रह जाते हैं।दोनों नेता ही साफ स्वच्छ छवि वाले निर्विवादित पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं।दोनों ही बेहद सुलझे हुए और योग्य नेता हैं।इस प्रकार  सुषमा और मोदी के नामों पर एक बहस छिड़ चुकी है,क्योंकि जहां बुद्धिजीवियों का एक वर्ग सुषमा को बेहतर बता कर नरेंद्र मोदी को नकारता प्रतीत हो रहा है,तो एक अन्य वर्ग मोदी सबसे उपयुक्त प्रधानमंत्री मानता है।


    सुषमा जी को तीस वर्षों का राजनैतिक अनुभव के साथ केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में विभिन्न मंत्रालयों को सँभालने का अनुभव है ,अल्पावधि के लिए दिल्ली के मुख्य मंत्री पद को भी सुशोभित कर चुकी है।भाजपा में लोकप्रिय नेता हैं,और  भाजपा के घटक दल शिव सेना के बल  साहेब ठाकरे की पसंद रही हैं। उन्हें  दिल्ली की पहली  महिला मुख्यमंत्री होने की गौरव प्राप्त है. भाजपा के घटक दल शिव सेना के   बाला साहेब ठाकरे की पसंद रही हैं।न्हें  दिल्ली की पहली  महिला मुख्यमंत्री होने की गौरव प्राप्त है
 भारत की संसद में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार पाने वाली पहली महिला भी वे ही हैं। वर्तमान में संसद में विपक्ष की नेता हैं। वे तेज तर्रार पार्टी की नेता और प्रवक्ता हैं।उनकी छवि में कोई दाग नहीं है,वे प्रधान मंत्री के पद  पर विद्वान् ,योग्य और सक्षम नेता के तौर पर सिद्ध हो सकती हैं।उन्हें महिला होने का अतिरिक्त समर्थन मिल सकता है,उन पर कट्टर हिन्दू वादी की छाप  भी नहीं लगी है,देश के राजनेताओं के लिए उनके विरुद्ध तथाकथित धर्म निरपेक्षतावाद  की दुहाई देते हुए उन्हें साम्प्रदायिक बताने का कोई कारण नहीं है।अतः उनकी देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में  प्रबल दावेदारी बनती है।
     जब भी गुजरात के वर्तमान मुख्य मंत्री की प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में चर्चा होती है,तो उनके व्यक्तित्व के सामने कोई नहीं टिक पाता।उनकी भाषण शैली किसी की भी बोलती  बंद करने में सक्षम है,उनका  मीडिया मेनेजमेंट गजब का कार्य करता है जो उनको  लोकप्रिय बनाने में सहायक बनता है।वे सिर्फ विकास आधारित राजनीति  में विश्वास करते है,जबकि आज धर्म या जाति आधारित राजनीति  देश पर हावी हो रही है।उनका उद्देश्य अपने प्रदेश के बाद, पूरे देश को और देश की जनता को विकास का लाभ देना है।विकास के लिए उनका अपना विजन है,उदाहरण  के रूप में उनके पास गुजरात का माडल है।जो उनकी विकास के प्रति ईमानदारी और उनकी कार्य क्षमता,कार्य शैली  को इंगित करता है।वे देश की व्यवस्था को सुधारने के लिए नयी टेक्नोलोजी का सहारा लेने के पक्षधर हैं।वे देश में भ्रष्टाचार को जड़ से ख़त्म करने को संकल्प बद्ध लगते हैं।यही कारण है की पार्टी के अधिकतर कार्य कर्ता और देश के शुभेच्छु एवं प्रबुद्ध वर्ग  नरेंद्र मोदी को अगले प्रधान मंत्री के रूप में देखने के लिए खासे उत्साहित हैं,भाजपा के मूल संगठन *आर एस एस* का भी समर्थन नरेंद्र मोदी को प्राप्त है।
   उपरोक्त विश्लेषण मोदी की दावेदारी को मजबूत करता है,और देश का सौभग्य होगा यदि देश को नरेंद्र मोदी का नेतृत्व मिलता है।              


  

कोई टिप्पणी नहीं: