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मंगलवार, 6 सितंबर 2011

राष्ट्र निर्माण में फिल्मों का योगदान

कहा जाता है कल्पना विकास की पहली सीढ़ी है फिल्मों ने आम व्यक्ति को कल्पना के संसार तक पहुँचाया .उच्च गुणवत्ता जीवन शैली के लिए प्रोत्साहित किया. परिणाम स्वरूप आज प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्य को फ़िल्मी स्टाइल में करने का प्रयास करता है. यहाँ तक कभी कभी नकारात्मक प्रभाव भी सामने आते हैं,जब चोरी डकैती भी फ़िल्मी शैली में करते हुए दिखाई पड़ती है. फिल्मों ने और अब मीडियाने और टी.वी भौतिवाद को हवा दी है, साथ ही आम जन को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी किया है. अधिक धनार्जन के लिए कठोर परिश्रम,अनुशासन,सहनशीलता,दूरदर्शिता जैसे गुणों का विकास भी किया है. कहते हैं जब किसी ने जिराफ देखा ही नहीं उसे पाने की इच्छा कैसे करेगा . यही कल्पना रुपी जिराफ फिल्मों एवं टी.वी ने दिखा कर राष्ट्र निर्माण में सहयोग किया है.किसी समाज को उठाने के लिए उसमें भूख पैदा करनी पड़ती है जब भूख जागेगी तो स्वतः समाज आगे बढ़ने लगता है यही काम हमारी हिंदी फिल्मो ने किया है.हिंदी फिल्मो ने पूरे देश को हिंदी भाषा का ज्ञान करा कर एकता का परचम लहराया है.
     आज सामाजिक जागरूकता एवं सामाजिक उत्थान का कार्य इलेक्ट्रोनिक मीडिया कर रहा है.भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना हजारे की आवाज जन जन तक पहुँचाने में मीडिया की मुख्य भूमिका रही इसी कारण उनका आन्दोलन सफल हो पाया.

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