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शुक्रवार, 9 मार्च 2012

भारत का मध्यम आए वर्ग

आज पूरे विश्व की निगाहें भारत के मध्यम आए वर्ग द्वारा निर्मित विशाल बाजार पर टिकी हुई है .दुनिया का प्रत्येक विकसित देश हमारे देश से सम्बन्ध सुधार कर अपने व्यापार को नए आयाम देने को उत्सुक है . ताकि उस देश की औद्योगिक इकाइयों में निर्मित उत्पाद को खपाया जा सके .भारत की कुल जनसँख्या का तीस प्रतिशत अर्थात 36 करोड़ व्यक्ति मध्यम आए वर्ग के अंतर्गत आते हैं .यह वर्ग जहाँ विदेशों में आकर्षण का केंद्र है वहीँ इसकी देश के निर्माण में विशेष भूमिका है .यदि यह कहा जाय यह वर्ग हमारे देश का गौरव है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी .इस लेख के माध्यम से मैंने इस वर्ग के व्यक्तियों की मनः स्थिति ,सामाजिक स्थिति एवं आर्थिक स्थिति का आंकलन करने का प्रयास किया है .
मध्यम आए वर्ग से मेरा अभिप्राय एक ऐसे वर्ग से है जो आर्थिक रूप से इतना तो सक्षम है की अपने दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ती आसानी से कर पाता है .उसे अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता परन्तु उच्च श्रेणी की सुविधाए प्राप्त करने में सक्षम नहीं है या यह भी कहा जा सकता है विलसिता पूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए उसके पास पर्याप्त धन नहीं होता .
यदि अपवादों को नजरअंदाज कर दिया जाये तो यह वर्ग सर्वाधिक सर्वगुण संपन्न है .स्वच्छ चरित्र न्यायप्रियता , बुद्धिमत्ता , महनत कश एवं महत्वकांक्षी होना इस वर्ग की विशेषता है .इस वर्ग की विस्तृत विशेषताओं का क्रमवार विश्लेषण प्रस्तुत है .
स्वच्छ चरित्र ;- चरित्र के प्रति निष्ठावान रहने के लिए इस वर्ग के समाज में विशेष ध्यान रखा जाता है .सब लोग एक दूसरे की गतिविधियों पर निगाहें बनाए रखते हैं .इसी कारण प्रत्येक व्यक्ति अपने सम्मान को बनाये रखने के लिए अपने व्यव्हार को संयमित रखता है ,अवांछनीय कार्यों को करने से परहेज करता है .यदि कोई असामाजिक कार्य करता भी है तो समाज की नजरों से बचे रहने के प्रयास करता है ताकि समाज की निगाहों में उसको अपमानित न होना पड़े .मांसाहारी , नशाखोरी ,जुआखोरी, वैश्यावृति जैसी सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध इसी वर्ग से आवाज उठती है .स्वयं भी इन बुराइयों से दूर रहने के प्रयास करते हैं . इस वर्ग के लिए चरित्रवान होना सर्वाधिक महत्ब्पूर्ण है .
न्याय प्रियता ;- इस समाज में सबसे अधिक न्याय की बातें होती हैं . अन्याय के विरुद्ध सर्वाधिक संघर्ष इसी वर्ग के लोगों द्वारा किया जाता है .सर्वाधिक जागरूक ,क्रियाशील ,नागरिक इसी वर्ग के सदस्य होते हैं .न्याय प्रियता ही उन्हें चरित्रवान बनने को प्रेरित करती है .
बुद्धि मत्ता ;- बुद्धि और विद्वता में यह वर्ग पूरे समाज में सर्वोपरि है . देश के सर्वोच्च पदों पर इसी वर्ग के नागरिक अपने अथक प्रयास द्वारा सुशोभित करते हैं .पुश्तैनी जायदाद पर जीवन बसर करने वाले लोगों को छोड़ कर ,अक्सर उनकी विद्वता ही उनकी धन अर्जन का माध्यम बनती है .अतः शिक्षा के माध्यम से आजीविका चलाने का प्रयास करते है चाहे व्यापार हो ,या उत्पादन इकाई हो ,अन्य कोई कारोबार हो , कोई व्यवसाय हो ,या फिर नौकरी सफलता पूर्वक आगे भी बढ़ते देखे जा सकते हैं |
मेहनत कश ;-आगे बढ़ने की महत्वाकांक्षा के कारण जुझारू पृकृति के होते हैं | क्योंकि चरित्रवान होने के कारण अर्थात बुराइयों से दूर रहने के कारण ,शारीरिक और मानसिक श्रम में किसी प्रकार पीछे नहीं रहते | जीविकोपार्जन के लिए सर्वाधिक समय यही वर्ग व्यय करता है | उच्च वर्ग तक पहुँचने की महत्वाकांक्षा उन्हें जीवन भर तनावग्रस्त बनाये रखती है, और सदैव असंतुष्ट बने रहते हैं| सर्वाधिक प्रतिस्पर्द्धा यही वर्ग चुनौती के रूप में स्वीकार करता है|
असुरक्षा का भाव ;-यह वर्ग अपने को सर्वाधिक असुरक्षित अनुभव करता है .कारण यह है की निम्न वर्ग के पास खोने को कुछ नहीं होता अतः यदि सार्थक प्रयास करें तो मध्यम वर्ग तक पहुँच सकता है ,दूसरी तरफ उच्च वर्ग इतना सामर्थ्य होता है की उसे कुछ भी खोने का गम नहीं हो सकता अतः अपने भविष्य के प्रति चिंतित होने की आवश्यकता नहीं होती .मध्यम वर्ग हमेशा उच्च श्रेणी में पहुँचने के सपने देखता है परन्तु साथ ही अपने वर्तमान स्तर को बनाये रखने के लिए चिंतित रहता है .अतः मध्यम वर्ग हमेशा असुरक्षित अनुभव करता रहता है.
उच्च वर्ग की नक़ल ;-मध्यम वर्ग की विशेषता है की वह अपनी महत्वाकांक्षा के कारण उच्च वर्ग की अर्थात सर्व साधन संपन्न व्यक्तियों की नक़ल करना उसे भाता है | शायद वह अपने को उच्च वर्गीय दिखाना चाहता है ,इस प्रकार नक़ल करके वह गौरव का अनुभव करता है और अपने समाज पर प्रभाव डाल कर अपने को सम्मानित अनुभव करता है |.इसी नक़ल के कारण वह अपने yahan आयोजित विवाह समारोह या सांस्कृतिक आयोजनों में अपनी सामर्थ्य से कहीं अधिक खर्च कर देता है ,यही फिजूल खर्च उसे भविष्य में अनेकों परेशानियों का कारण बनता है |
धार्मिक आस्था ;-मध्यम आए वर्ग समाज का धार्मिक कार्यों में सर्वाधिक योगदान रहता है . धार्मिक अनुयायी सर्वाधिक इसी वर्ग से होते हैं | .परन्तु अप्रासंगिक परम्पराओं को तोड़ने की ललक ,तर्क हीन मान्यताओं के विरुद्ध संघर्ष करने की इच्छा भी इसी वर्ग में पाई जाती है | .और पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने की चाह में अपनी सांस्कृतिक धरोहर को छोड़ देने की प्रवृति भी इसी वर्ग पाई जाती है . सीमित साधनों के बावजूद, उन्नत एवं आधुनिक दिखने की इच्छा ,निरंतर बनी रहती है .
पीढ़ी दर पीढ़ी अंतर सर्वाधिक ;- मध्यम आए वर्ग को ,विभिन्न स्तरों जैसे उच्च मध्यम आए वर्ग ,अल्प मध्यम आए वर्ग ,निम्न मध्यम आए वर्ग में विभाजित किया जा सकता है | जो अल्प आए वर्ग एवं उच्च आए वर्ग के मध्य का लम्बा सफ़र है | मध्यम आए वर्ग निरंतर विकासोन्मुख रहते हुए अपने आए वर्ग की उन्नत श्रेणी में बढ़ता रहता है | .अतः अक्सर नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी से अधिक आए वर्ग श्रेणी में उन्नत करती रहती है | और वह पुरानी पीढ़ी के मुकाबले अधिक सुख सुविधाओं के साथ जीवन व्यतीत करना चाहता है ,परन्तु परिवार के
साथ रह रहे युवकों की इच्छाओं पर घर के बुजुर्ग कुठाराघात करते हैं ,परिणाम स्वरूप नयी पीढ़ी से टकराव
के कारण संयुक्त परिवार का विघटन हो जाता है |नयी पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी का कोप भजन बनना पड़ता है .अतः एक तरफ यह स्थिति युवा पीढ़ी के लिए संघर्ष का कारण बनती है तो दूसरी तरफ पुरानी पीढ़ी के लिए कष्टकारी भी होता है |
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है देश का मध्यम वर्ग ही देश की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है ,वही देश के विकास को गति देता है एवं देश की आत्मा होता है |

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