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गुरुवार, 15 मार्च 2012

समाजवादी पार्टी की सत्ता वापसी

यह तो कटु सत्य है आज प्रत्येक राजनैतिक दल में दबंगों ,अपराधियों का बोलबाला है . परन्तु समाजवादी पार्टी की कार्यशैली भी कुछ दबंगई को परिलक्षित करती रही है .मुलायम सिंह जी के पिछले शासन कालों के दौरान गुंडा गर्दी ,अपराधों एवं अपहरणों की बहुतायत रही है .पत्रकारों पर खुले आम हमले , एवं दुर्व्यवहार आज भी तानाशाही शासन की याद करा देता है . उत्तरखंड के आन्दोलन को जिस प्रकार से कुचला गया ,लोकतंत्र भी लजाता दिखा .मुलायम जी की मुस्लिम परस्त नीतियाँ उनकी धर्मनिरपेक्षता की पहचान बनी हुई है .इतना सब कुछ होने के पश्चात् भी पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापस लौटना उनका सौभाग्य ही कहा जा सकता है ,जो प्रदेश के लिए भी सौभाग्य बन सकता है यदि समाजवादी पार्टी अपने पिछली कार्य शैली में आमूल चूल परिवर्तन ला सके .नवोदित मुख्य मंत्री श्री अखिलेश जी युवा हैं शिक्षित हैं ,ऊर्जावान हैं ,और पार्टी की अपराधिक छवि को सुधारने को संकल्प बद्ध भी .यदि उन्होंने उन्हें अल्पायु में प्राप्त सुनहरी अवसर का सदुपयोग किया तो वे एक सुखद भविष्य का निर्माण कर सकेंगे .प्रदेश की जनता ने इसी उम्मीद से उनमे अपना विश्वास जाता कर स्पष्ट बहुमत से सत्ता सौंपी है .जो उनको दृढ़ता पूर्वक अपने निर्णय लेने में सुविधाजनक होगा .गठबंधन की सरकारें चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पातीं .
किसी के भी मन में यह पार्ष्ण कौंधना स्वाभाविक है आखिर समाज वादी पार्टी में जनता का विश्वास क्यों जगा .क्यों उन्हें स्पष्ट बहुमत दे कर सत्तारूढ़ कर दिया .इस चुनावी घटना क्रम का विश्लेषण किया जाय तो ज्ञात होता है की अनेक कारण समाजवादी पार्टी के पक्ष में बने जो उसे सत्ता तक ले गए .
1.प्रदेश में किसी भी राष्ट्रिय पार्टी का जनाधार का न होना .अर्थात कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी की साख बहुत नीचे आ जाना .क्योंकि कांग्रेस पार्टी की छवि केंद्र में भ्रष्टाचार और घोटालों के कारण काफी ख़राब हो चुकी है ,भा .ज .पा ने बाबु सिंह कुशवाहा को ऐन चुनाव के अवसर पर पार्टी में लेकर अपनी छवि धूमिल कर ली .इसी कारण उसका जनाधार पहले से भी नीचे आ गया .
2.जनता बहुजन समाज पार्टी से नाराज थी .क्योंकि मायावती जी ने अपने कार्य कल में या तो घोटाले कराय या फिर जनता की गाढ़ी कमाई को पार्कों में मूर्तियाँ लगाने में खर्च कर डाला .उनके कार्यकाल में प्रदेश विकास की समुचित रह नहीं पकड़ पाया बल्कि उसकी गणना देश के सबसे पिछड़े प्रदेशों में होने लगी .
3.जब तीन बड़े दलों के विरुद्ध मतदान करना था तो जनता के समक्ष समाजवादी पार्टी का ही विकल्प रहा गया .जिसने समाजवादी पार्टी के सितारे को चमकाया .
4.इस बार प्रदेश में नए मतदाता बने युवाओं के लिए युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन नेता मैदान में थे ,कांग्रेस से राहुल गाँधी ,राष्ट्रिय लोक दल से जयंत चौधरी ,एवं समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव परन्तु अखिलेश जी ही युवाओं की पहली पसंद बन पाए.उन्हें अखिलेश के व्यक्तित्व में अपना भविष्य दिखाई दिया और समाज वादी पार्टी के लिए मतदान किया .
5. समाजवादी पार्टी के घोषणा पत्र में युवा बेरोजगारों को बेरोजगार भत्ता देने का वायदा किया गया ,और हाई स्कूल एवं इंटर पास युवाओं को लैपटॉप एवं टेबलेट देने का वायेदा किया गया ,जिसने युवा वर्ग को अपने पाले में खींचने का कम किया .
6.मुस्लिम वर्ग ने कांग्रेस द्वारा उछाले गए आरक्षण के मुद्दे को चालाकी भरा वायेदा मन कर नकार दिया .क्योंकि आजादी के पश्चात् अधिकतम समय केंद्र में कांग्रेस के पास ही सत्ता रही है , इतने लम्बे समय में मुस्लिमों को आरक्षण देने याद नहीं आयी.परन्तु अब चुनावों की बेला पर अपनी डूबती नैय्या को बचाने के लिए मुस्लिमों से अचानक हमदर्दी उन्पन्न हो गयी . मुस्लमान पहले से ही सनाज्वादी पार्टी को पसंद करते रहे हैं .इस बार उन्होंने कुछ अधिक ही मतदान कर पार्टी को बहुमत दिला दिया
जैसा की अखलेश जी अपने बयानों में कहते आए हैं की वे गुंडा गर्दी पर पूर्णतयः लगाम लगा कर प्रदेश का विकास करेंगे और शांती व्यवस्था कायम करेंगे .ताकि उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश बन सके .परन्तु उन्हें अपने संकल्प को क्रियान्वित कर पाना आसान भी नहीं है .जिस प्रकार प्रदेश की राजनीति में गलाकाट प्रतिस्पर्द्धा है ,अखिलेश जैसे नवयुवक के लिए कम चुनौती वाला नहीं होगा .क्योंकि हमारा समाज आयु को एवं राजनैतिक परिवेश अनुभव को अधिक महत्त्व जाता है .जो अखलेश जी के पास नहीं है , फिर भी उनके उत्साह को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है , वे अपने सभी बुजुर्ग साथियों ,नौकर शाहों का सहयोग प्राप्त कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे . प्रदेश में सुराज्य स्थापित कर विकास की ओर ले जायेंगे .

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