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बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

लिव इन रेलाशन्शिप

भारतीय समाज में आज भी विवाह से पूर्व किसी भी लड़के एवं लड़की का घुलना मिलना या शरीरिक संपर्क बनाना अमान्य है .इसी प्रकार विवाह पश्चात् जीवन साथी के अतिरिक्त किसी अन्य के साथ शारीरिक संसर्ग की इजाजत नहीं है .परन्तु आधुनिक चलन में पुय्रुष महिला बिना विवाह किये अर्थात कानूनी या सामाजिक मान्यता प्राप्त किये बिना साथ साथ रहने लगते हैं .जिसे लिव इन रेलाशन्शिप का नाम दिया जाता है .लिव इन रेलाशन्शिप अल्प अवधि का हो अथवा दीर्घावधि का या आजीवन , सामाजिक रूप से मान्य नहीं है .बिना कोर्ट मेरिज पंजीयन के साथ साथ रहना कानूनन भी मान्य नहीं है .परन्तु इस प्रकार के केसों में जब कोई धोके का शिकार होता है तो लिव इन रेलाशन्शिप को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग की जाती है .

लिव इन रेलाशन्शिप को दो प्रकार से देखा जा सकता है
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प्रथम ; जब युवक युवती बिना विवाह किये साथ साथ रहने लगते हैं ,और अपना परिवार बढ़ाते हैं एवं घ्राहस्थी की जिम्मेदारियों को निभाते हैं .

द्वितीय ; जब अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में कोई स्त्री या पुरुष अपने जीवन साथी से बिछुड़ जाता है ,तो अपने शेष जीवन को किसी के साथ निभने के लिए विपरीत लिंगी के साथ बिना विवाह किये साथ रहने का निश्चय करते हैं .ऐसे युगल अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से पहले ही मुक्त हो चुके होते हैं .अतः कोई सामाजिक या कानूनी आक्षेप नहीं आता . उनकी लिव इन रेलाशंशैप शारीरिक आकर्षण के कारण या शारीरिक संबंधों के लिए नहीं होती .उनका मकसद सिर्फ आपसी सहयोग करना होता है .इस प्रकार के सम्न्धों की कानूनी मान्यता के न होते हुए भी सामाजिक रूप से अनैतिक नहीं माना जाता .बल्कि ऐसे संबंधों के कारण बुजुर्ग के चेहरे पर संतोष के भाव देख कर परिवार और समाज को ख़ुशी का अनुभव होता है .

प्रस्तुत लेख में हमारा मुख्य उद्देश्य युवावस्था में ’ लिव इन रेलाशन्शिप’ है .जब एक युवक एवं युवती एक दूसरे को पसंद करते हैं और बिना कानूनी या सामाजिक प्रक्रिया अपनाये साथ साथ रहने लगते हैं .आधुनिक युग में जब महिलाएं शिक्षित एवं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो गयी हैं , लिव इन रेलाशन्शिप का चलन बढ़ने लगा है . परिवार नियोजन सम्बन्धी सुविधाएँ हो जाने के कारण महिलाएं अधिक निर्भय हो गयी हैं ,उन्हें किसी प्रकार की स्वच्छंदता से कोई सामाजिक प्रताड़ना का भय नहीं रह गया है .आज विवाह पूर्व एवं विवाहेत्तर संबंधों से सामाजिक बंधन घटते जा रहे हैं .जिसने हमारी संस्कृति पर करारी चोट की है . इसी प्रकार के अवैध संबधों का नया संस्करण है ,”लिव इन रेलाशन्शिप .”इस नए संस्करण में युवक युवती एक दूसरे पर पूर्णतया समर्पित हैं ,गृहस्थी की सभी जिम्मदारियां भी निभाते हैं ,परन्तु सामाजिक या कानूनी बंधन में बंधने से कतराते हैं ,क्यों ?आधुनिक चलन की आड में आधुनिकता कम धोखेबाजी की संभावना अधिक रहती है .आखिर सब कुछ समर्पण के पश्चात् बंधन से परहेज क्यों ? कहीं कोई पार्टनर अपने गलत इरादे तो नहीं पाले हुए है ?हो सकता है कोई युवक किसी युवती के साथ आधुनिकता का झांसा देकर साथ रहे ,सम्बन्ध बनाये और फिर कभी भी छोड़ कर किसी अन्य युवती के साथ रहने लगे ऐसी अवस्था में युवती एवं उसके बच्चों को कोई कानूनी एवं सामाजिक संरक्षण प्राप्त नहीं होता . इसी प्रकार इस सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कोई चालक युवती किसी धनवान या हाई प्रोफाईल युवक को अपने प्रेमजाल में फंसकर लिव इन रेलाशन्शिप में कुछ समय बिताने के पश्चात् उसका समस्त धन -दौलत लूटकर ले जाय या अवैध संबंधों की दुहाई देते हुए लड़के के सम्मान को चोट पहुंचाए ,उसे ब्लेकमेल करे ,अनेक आरोप लगा कर कानूनी प्रक्रिया में घसीटे और उसका जीवन कलुषित कर दे .
कहने का तात्पर्य यह है लिव इन रेलाशन्शिप के अवैध चलन में काफी खतरे मौजूद हैं .यह भी विचारणीय विषय है की जब दोनों एक दूसरे पर समर्पित हैं तो कानूनी या सामाजिक बंधनों को अपनाने से परहेज क्यों ?क्या यह उनकी ईमानदारी ,बफदारी के ऊपर प्रश्न चिन्ह नहीं है ? संभव है किसी युगल के रिश्ते को अपनाने में सामाजिक अड़चन हो तो भी कोर्ट मेरिज कर कानूनी संरक्षण तो प्राप्त किया जा सकता है .इस प्रकार से दोनों पार्टनर को अपने सुरक्षित भवष्य की सुनिश्चितता तो प्राप्त होती है . यदि उन्हें सम्भावना लगती है की वे आजीवन साथ नहीं रह पाएंगे तो भी तलाक का विकल्प मौजूद रहेगा .

बेनामी रिश्ते देश की संस्कृति पर आघात करते हैं ,देश में सामाजिक विकृतियाँ उत्पन्न करते हैं .सामाजिक ताने बने को छिन्न भिन्न करते हैं .ऐसी स्तिथि में परिवार का अस्तित्व लग - भाग समाप्त हो जाता है . किसी असहज स्तिथि में उसे कानूनी या सामाजिक संरक्षण नहीं मिल पाता . यदि समाज बेनामी रिश्तों को मान्यता देने लगे तो मानव सभ्यता और जंगलराज में कोई अंतर नहीं रह जायेगा .

मानव समाज को निरंतर विकास करते रहने के लिए , समाज को सभ्यता के दायरे में रखने के लिए कानूनी नियंत्रण आवश्यक है .अतः प्रत्येक सम्बन्ध को विधिवत मान्यता देना आवश्यक है .प्रत्येक इन्सान के सुरक्षित भविष्य की गारंटी है . मानवीय विकास के लिए आवश्यक भी है . जब हमें अधिकार ,सुविधाएँ ,संसाधन चाहिए तो कर्त्तव्य एवं बंधन भी निभाने पड़ेंगे .

यदि “लिव इन रेलाशन्शिप ”को मान्यता दे दी जाय तो सामाजिक अपराध को छूट दे देने के समान होगा , जो स्वास्थ्य एवं सभ्य समाज के लिए उचित नहीं हो सकता .

Satya sheel agrawal

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